फूलों सी बच्ची को जेल !
आज तो एक निवाला भी निगला न जायेगा ;
हर घडी बस बच्ची का ख्याल आएगा ,
फूलों सी मेरी बच्ची;काँटों से भरी जेल ;
ए. सी.में रहने वाली गर्मी को रही झेल ,
एक छोटा सा घोटाला ;इतनी बड़ी सज़ा !
अब राजनीति मुझको लगती है बेमज़ा .
शिखा कौशिक
sateek bhavabhivyakti.badhai
ReplyDeletesateek bhavabhivyakti.badhai
ReplyDeleteएक तो जेल हो गयी कानी को और कुर्सी चली गयी सो अलग, अब लगता है लम्बे समय तक चक्की पीसनी पड़ेगी...
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