27.6.11

`शिकारी` कथा-रहस्योद्धाटन ।

रहस्य कथा-शिकारी ।
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सौजन्य-गूगल
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/06/blog-post_27.html
दोस्तों,एक छोटा सा  पक्षी, विशालकाय विमान को आसमान से धरती पर गिरा सकता है..!! एक छोटी सी चींटीं विशालकाय हाथी को पागल बना सकती है..!! और मन के भीतर, पैदा हुआ वासना का एक छोटा सा कीड़ा,किसी भी महा चरित्र्यवान मानव को पतन की खाई में धकेल देता है..!!

 
पिछले कई दिनों से, शिकारी को इसका नया शिकार हाथ न आया था । कई दिनों से वासना और विक़ार के नशे की अपूर्तता के कारण इस शिकारी को, एक नशाख़ोर व्यसनी की छटपटाहट से  भी अधिक बैचेनी आज हो रही थी । वासना के कारण गरम हो कर दौड़ रहे खून में अब भयंकर उछाल आने की तैयारी थी ।

 
हा..क्..थू..उ..उ..!! शिकारी ने अश्लीलता पूर्वक, रास्ते पर थूक दिया । शिकारी का मन बचपन की यादों से, खट्टा होने लगा..!!

 
बचपन से ही, १२` x १५` फुट के सिर्फ एक कमरे के कायमी निवास में, पूरा खान दान रहता था, ऐसे में कभी-कभी तो उसके सो जाने का  भी इंतज़ार किए बिना ही, उसका बड़ा भाई और भाभी रात को शारीरिक छेड़छाड़ के साथ  सेक्स  की मस्ती का जो खेल शुरु कर देते थे, उसे वह पहले-पहल तो अचरज वश हो कर और बाद में, कमरे में फैले धुँधले प्रकाश में, अध-खुली  आँख से उन दोनों की सेक्सी शरारतों की चरम सीमा को देख कर, वह वयस्क  होता रहा ।

 
हद तो तब होने लगी, जब  उसने बड़े भाई-भाभी की सेक्सी शरारतों की आज़माइश विद्यालय के पायखाने मे, अपने विद्यालय के सहपाठीओं के साथ करनी शुरू कर दी..!! ज़ाहिर है कि, इस गंदी हरकतों की शिकायत  प्रधानाचार्य, उसके भाई से बार बार करने लगे..!! 

 
नतीजन एक दिन आखिर थक-हार कर, बड़े भाई ने उसे विद्यालय से एकाएक नाम कटवा कर, पढ़ाई छुड़वा  दी और नज़दीक के शहर में, एक कारखाने में, उसे मज़दूरी पर भेज दिया ।

 
कारखाने के मालिक को तो मानो चौबीसों घंटे का नौकर मिल गया, उसे रहने के लिए कम्पाउन्ड में ही, मालिक के बंगले के पिछे, एक छोटा सा कमरा शेठ ने दे दिया । पूरा दिन  कारखाने और बंगले का ढेर सारा काम करने के बाद  बदन असह्य  दर्द करने लगे तब, शेठानी का दिया हुआ, बचा-कुचा खाना खा कर  देर रात को,  भाई-भाभी के सेक्सी शरारतभरे खेल याद करते-करते गहरी नींद में चले जाने की  नाकाम कोशिश वह  करता रहता और अगर फिर भी नींद न आयें तो...तो...तो...?

 
किसी बैल की भाँति मज़दूरी करने के बदले में, शेठ की गंदी गालियाँ मिलने के कारण त्रस्त हो कर, उसने एक दिन, शेठ के गाली देते ही, उसके हाथ में जो औज़ार था, वह शेठ के सिर पर दे मारा और पिछे मुड़ कर देखे बिना, किसी को कुछ बताये बिना ही, कारखाने से भाग निकला और इस गाँव में आकर छुप गया..!! 

 
इस बात को आज पूरे सात साल बीत चुके हैं । उसने अपने पुराने शेठ का ना कभी संपर्क किया,ना अपने भाई-भाभी का..!!

 
इस गाँव ने इन सात सालों में उसे नौकरी और सुंदर पत्नी दोनों दिए हैं..!! आज वह बिलकुल दुःखी नहीं है..!! उसने अपने मन को सहलाया, छोड़  ना  या..र, ये सारी पुरानी बातें..!!   

 
मानो, पुरानी यादों को, वह सचमुच मन के भीतर से बाहर उखाड़ फेंकना चाहता हो, फिर एक बार, दोगुना ज़ोर आज़मा कर,वह  रास्ते पर थूका..हा..क्..थू..उ..उ..!!

 
शाम के साढे सात बजे होंगे और अचानक गाँव की निर्जन गली में, जल्दी घर पहुँच ने की हड़बड़ी में, करीब-करीब भागते कदम भरती हुई, १४-१५ साल की एक लड़की पर, उसकी गरमा गरम नज़र पड़ी ।

 
इस कन्या को अकेली पाकर,उसके भीतर का शैतान शिकारी, बिना कुछ सोचे-समझे, तुरंत जाग उठा । अतिशय उत्तेजना से उसका शरीर कांप ने लगा..!!  उसने भी दौड़ते हुए कदमों से, उस लड़की के करीब जा कर उसे दबोच लिया और  वह लड़की कुछ समझती-चिल्लाती, उसने लड़की का मुँह दबा कर, उसे पास के खंडहर जैसे एक निर्जन मकान में खींच लिया ।

 
सवेरे-सवेरे किसी ग्रामजन ने, गाँव की युवा महिला सरपंच सावित्रीदेवी को ख़बर पहुँचाई और देखते-ही देखते उस सुनसान टूटे फूटे मकान के पास कई सारे लोग इकट्ठा हो गए ..!!

 
महिला सरपंच ने तुरंत पुलिस बुलाई । गाँव के मंदिर के पुजारी की इकलौती लड़की मंदिरा की लाज लूट कर, किसी शैतान शिकारी ने बड़ी ही बेरहमी से, उसे क्षतविक्षत कर दिया था ।

 
हालाँकि, मंदिरा अभी तक जीवित थी,पर बेसुध अवस्था में अब तक भयंकर दर्द  से कराह रही थीं । आनन फानन में, पुलिस ने मंदिरा को गाँव के पास, ज़िला की बड़ी सरकारी अस्पताल में भर्ती करवा दिया । डॉक्टर ने मंदिरा का परीक्षण करने के बाद बताया कि, उसके साथ बलात्कार हुआ था और इस बर्बर घटना के असह्य आघात के कारण, मंदिरा अवाक-गुंगी हो गई थीं । मंदिरा की बूरी हालत देख कर, ज़िला पुलिस अधिकारी ने अस्पताल अधिकारियों को उसकी अच्छी तरह देखभाल करने की ताक़ीद कि । 

 
यहाँ, गाँव में, गाँव वालों का गुस्सा सीमा पार कर रहा था ।

 
थोड़े ही दिन पहले, गाँव में भीख माँगकर अपना गुजारा कर रही एक पागल औरत पर बलात्कार हुआ था और उसका बलात्कारी पकड़ा जाए,उसके पहले ही यह फूल जैसी कोमल  नाबालिक  लड़की मंदिरा पर बलात्कार का गंभीर मामला?

 
प्यारे दोस्तों, ये रहस्य कथा अभी बाक़ी है । पर  यहाँ  एक अहम सवाल ये  भी उठ रहा है  कि..!!

 
कोई भी इन्सान बलात्कारी क्यों बनता होगा?

 
आज भी देश में, १२`x१५` फुट के असुविधाजनक छोटे से कमरे में, कितने परिवार गुज़र-बशर कर रहे होंगे?

 
क्या वे सारे दंपति, अपने नासमझ बच्चों के सो ने का इंतज़ार किए बगैर ही, अपने जातीय उत्तेजना की संतुष्टि करते होंगे?

 
क्या  अनेक कारणों में बलात्कार की घटनाएँ बढ़ने का यह भी एक कारण हो सकता है? 

 
आपके पास इसका है कोई जवाब?अगर नहीं है तो..!!

 
दोस्तों, इस रहस्य कथा में आगे क्या हुआ?

 
क्या शैतान बलात्कारी पकड़ा गया? कौन था वह दरिंदा?
 
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आपने यहाँ तक पढ़ा था? अब आगे, बाकी कहानी भी पढ़िये और कृपया अपनी अमूल्य राय भी दीजिए ।
 
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सिर्फ दस दिनों में, इसी गाँव में, बलात्कार का ये दूसरी भयंकर घटना घटी थी, इसलिए सभी को लगा रहा था कि, अब गाँव में किसी की भी, माँ-बहन-बहु-बेटी की  इज़्ज़त-आबरू सलामत नहीं है?

 
गाँव की पंचायत और ज़िला पंचायत के चुनाव नज़दीक थे,अगर जल्द ही ये नराधम बलात्कारी पकड़ा न गया तो, 
सत्ताधारी पक्ष को चुनाव में भारी नुकसान होने वाला था..!! ऐसे में गाँव की महिला सरपंच सावित्रि देवी और खास कर के उनके पति देव सत्यवानजी द्वारा आक्रोशित प्रति भाव और ज़िला पुलिस अधिकारी समक्ष, बड़े ही सख़्त शब्दों में, पेश किए गए आवेदन-पत्र  के कारण, इस छोटे से गाँव में, राज्य के गृह मंत्री, गृह सचिव और उपरी रेंक के ज़िला पुलिस अधिकारी को, गाँव वालों के साथ, आज  बैठक करनी पड़ी ।

 
गाँव लोगों की उपस्थिति में आयोजित की गई बैठक में माहौल बहुत तंग था और फिर जब  महिला सर पंच के पति श्री सत्यवानजी ने, गाँव वालों के आक्रोश और व्यथा का बयान करते हुए, ज़िला पुलिस अधिकारियों को, ये तक कह डाला कि," आप हमें झूठा भरोसा देने के बजाय, उस शैतान बलात्कारी को फौरन पकड़ ने इंतज़ाम कीजिए, व्यर्थ भरोसे की बातें करना तो सभी को आता है..!! इतनी बेरहमी से अगर आप की खुद की बहन-बेटी के साथ बलात्कार हुआ होता तब, आपको हमारा दर्द महसूस होता..!!"

 
हालाँकि, श्री सत्यवानजी के इतने कठोर वचन सुनते ही, ज़िला पुलिस अधिकारी गुस्से से भड़क उठे और बैठक से उठ कर जाने लगे । मामला तंग होता देख कर गृह मंत्री जी ने जैसे तैसे, बीच-बचाव करके, मामले को ठंडा किया और बलात्कारी को पकड़ने के लिए, पुलिस को केवल पंद्रह दिन की  मोहलत दी ।

 
करीब चार रोज़ बाद ही, मंदिरा को अस्पताल से छुट्टी मिल गई, पर उसकी वाचा  छिन गई, इस बात का उसे बहुत दुःख हो रहा था । घर आ कर मंदिरा ने, पुजारी पिताजी की राय मान कर, पिता के साथ मंदिर में ईश्वर की आराधना में अपना दिल लगाया ।

 
राज्य के गृह मंत्री, गृह सचिव और उपरी रेंक के ज़िला पुलिस अधिकारियों के साथ आयोजित कि गई बैठक को एक माह बीतने को आया था, पर पुलिस अभी तक हवा में हाथ-पैर उछाल रही थीं..!! पुलिस ने गाँव के कुछ छटे हुए नशैड़ी बदमाशों को हिरासत में ले लिया था और उनकी पूछताछ चल रही थी, पर परिणाम शून्य था ।

 
पुलिस की मान्यता अनुसार, बलात्कारी-शिकारी ने, पुलिस की सतर्कता के कारण,  या तो गाँव छोड़ दिया होगा या फिर वह इतना शातिर अपराधी है कि, उसने अपने आप को, कुछ दिनों के लिए संयमित कर लिया है..!!

 
ऐसे में आखिर पुलिस यह मान कर गाँव में गश्त लगा रही थीं कि,उस शातिर शिकारी बलात्कारी के मन में बसा वासना का कीड़ा, ज्यादा दिन तक उसे संयमित न रहने देगा, बहुत जल्दी उसे और एक अपराध करने के लिए, उकसा कर बाहर खींच ही लाएगा?

 
और सचमुच हुआ भी ऐसा..!! बलात्कार की  घटना को घटे, एक मास ही बीता था कि, एक दिन भरी दोपहर के समय, गाँव के बाहर, बग़ीचे में, मंदिर में भगवान की पूजा के लिए, फूल चुनने के लिए बग़ीचे में आई हुई, गुंगी मंदिरा को सरल शिकार समझ कर, फिर से एक बार उसी शिकारी ने, मंदिरा को अपने विक़ारी आगोश में, मजबूती से जकड़ लिया..!!

 
पर, शायद आज ईश्वर मंदिरा की सहायता के लिए हाजरा-हजूर था..!!

 
शिकारी की बदनियत को पहचान कर, भारी आघात और भय के कारण, अत्यंत ड़री हुई मंदिरा के कंठ से, चारों दिशा में गूंजती हुई, एक ऐसी भयानक मरणासन्न चीख निकल पड़ी कि, आसपास खेतों में काम कर रहे कई ग्रामीण एक साथ, मंदिरा की सहायता के लिए, दौड़ पड़े..!!

 
मंदिरा की भयंकर चीख सुन कर गांव के इतने सारे लोगों को एक साथ उसकी मदद के लिए  दौड़ते आते देख कर,  गभराये हुए शिकारी ने, बग़ीचे की नुकीले तार की आड़ के उपर से, उँची छलांग लगाई और फिर वह गाँव की ओर बेतहाशा भागा..!!

 
हालाँकि,इतनी देर में वहाँ पर गश्त लगा रही पुलिस की जीप भी आ पहुँची और शिकारी को सब ने मिल कर पकड़ लिया । पुलिस ने जब उसके मुँह पर बंधा रूमाल हटाया तो, उस दरिंदे को पहचान कर, उपस्थित सभी लोग आश्चर्यचकित रह गये..!!

 
जी हाँ, वह नराधम बलात्कारी शिकारी और कोई नहीं, पर महिला सर पंच सावित्रि देवी का पति सत्यवान ही था..!!

 
पुलिस थाने में, सत्यवान ने बयान दिया कि,"सर पंच की थका देने वाली जिम्मेदारी और कार्यभार से लदी हुई, उसकी पत्नी सावित्रि देवी कई महीनों से,  उससे सभी मायने में विमुख हो गई थी ।  जिसके चलते, बचपन से पाल पोष कर द्रढ हुए, बड़े भाई-भाभी  के सेक्स के शरारती खेल वाले वासनाई कीड़े ने, सात साल बाद अपना कवच तोड़ कर, फिर एक बार, सत्यवान के मन के संतुलन को काटना शुरू कर दिया था..!!"

 
हालाँकि, सत्यवान अपने आपको थोड़ा संभाल पाता, इस वासनाई कीड़े ने सत्यवान के मन में थोडे ही दिनों में,  इतना घना जाल फैला दिया कि, वह `अच्छा-बुरा` सोचने की सुध खो बैठा और अपनी हवस मटाने के लिए, दस दिन के अंतराल पर, भयंकर   बलात्कार जैसा निंदनीय कार्य कर बैठा?

 
मानसिक चिकित्सकों के मतानुसार, सत्यवान का केस, सायकिक केस था ।

 
जघन्य बलात्कार के अपराध में, सत्यवान के पकड़े जाने के दूसरे ही दिन, महिला सर पंच सावित्रि देवी ने,अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी निभाते हुए, समाज में अधिक मान भंग होने के डर से अपने पद से त्यागपत्र दे दिया और अपने तीन साल के बेटे को साथ ले कर, अपने पति सत्यवान के ऐसे निंदनीय और पूरे गाँव में भारी फ़ज़ीहत कराने वाले निंदनीय कार्य के कारण मारे शर्म के, हमेशा के लिए गाँव छोड़ कर, सावित्रि देवी ने, रोते-बिलखते हुए, अपने मायके की राह पकड़ ली ।

 
आजकल बलात्कारी शिकारी सत्यवान पर कोर्ट की कार्यवाही चल रही है । सत्यवान के मन में पले बड़े हुए वासनाई कीड़े को, अधिक लाड़  प्यार लड़ाने की भारी ग़लती के कारण, वह भिखारन पागल औरत, नाबालिक कन्या मंदिरा और पत्नी सावित्रि देवी के साथ-साथ उनके तीन साल के बेटे को,अंधकारमय भविष्य के पतन की खाई में  सत्यवान ने धकेल दिया..!!

 
पौराणिक सत्य काल में, एक सती सावित्रि देवी ने अपने सतीत्व के तपोबल पर, यमराज के मृत्युपाश से, अपने पति सत्यवान को छुड़ाया था  और आज कलयुग में एक सत्यवान ने अपनी आचारभ्रष्ट हरकतों से, बेकसूर पत्नी सावित्रि देवी-बेटे को,समाज में मान भंग कराके, उसके पीहर, वन वास भेज कर, जीते जी मृत्युपाश में  धकेल दिया था?

 
क्या आपको लगता है, सत्यवान के नैतिक पतन में, उसके बड़े भाई-भाभी की असंयमित सेक्सी शरारतों का हाथ है?

 
छोटे-छोटे कमरों में रहने वाले परिवार हो या फिर आलिशान महलनुमा बंगले में रहने वाले परिवार, अगर नासमझ बच्चों की उपस्थिति में, कोई दंपति निजी सेक्सी हरकतों में संयम बरतता नहीं है तब ऐसे में उनके संतान, वयस्क हो कर, भविष्य में  ऐसे ही सायकिक केस बन जाते हैं..!!

 
शायद,बच्चों के मन पर, टीवी शॉ के सेक्सी खुलेपन से भी ज्यादा बूरी असर, परिवार के सदस्यों के,सीधे, आँखो देखे, नंगेपन से होती होगी?

 
Dr. Phil Rich, Ed.D., LICSW के मतानुसार,
 
" In an age when childhood sexual abuse and victimization is increasingly on our minds, it is important for parents (and other caretakers) to understand what is "normal" sexual development and behavior in children and teenagers, and which behaviors might signal that a child is a victim of sexual abuse, or acting in a sexually aggressive manner towards others."

 
( Dr. Phil Rich is the Clinical Director of the Stetson School-Barre, Massachusetts-United States-Established-1899, a long-term residential treatment program for sexually reactive children and juvenile sexual offenders)

 
समाज में बलात्कार की बढ़ती निंदनीय घटनाओं के पिछे आपको,इसके अलावा और कौन-कौन  से कारण नज़र आते हैं?

 
दोस्तों, बताइएगा ज़रूर, क्योंकि ये समस्या, हम सभी की माँ-बहन-बहु-बेटी की सलामती के साथ जुड़ी हुई है..!!

 
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/06/blog-post_27.html
मार्कण्ड दवे ।  दिनांकः २४-०६-२०११.

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