१। ॐ में आस्था। इसी ध्वनि के साथ शक्ति का संचरण विश्व के निर्माण के लिए हुआ था । अतः यह आदिनाद है , अनहद है , परमसत्ता की आवाज होने से यह वैदिक मन्त्रों का अनिवार्य आरम्भ है ।
२। वेदों में आस्था तथा वेद को अपना आधार माननेवाले आरण्यकों उपनिषदों एवं पुराणों में विवेकपूर्ण आस्था ।
३। सर्वेश्वरवाद ।
४। सह अस्तित्व ।
धन्यवाद डा. पाण्डेय जी,
ReplyDeleteकृपया एक विस्तृत लेख लिखें या पहले से लिखा हो तो उसका लिंक भेजें.
अशोक गुप्ता
दिल्ली
धन्यवाद डा. पाण्डेय जी,
ReplyDeleteकृपया एक विस्तृत लेख लिखें या पहले से लिखा हो तो उसका लिंक भेजें.
अशोक गुप्ता
दिल्ली
dhanywaad sri ashok guptaji, sheeghra hee kuchh vistrit roop mein likhoonga .
ReplyDelete