5.6.11

पहले अपनी अपनी सोच और नजरे सुधारो ==========================




बाबा रामदेव और उनके रामलीला  मैदान शिविर  में आये लोगों  पर दिल्ली पुलिस द्वारा जो कार्रवायी  की   गयी , 
 उसकी जितनी भी निंदा की जाये वो कम होगी , 

पर जब टप्पल ( अलीगढ़ ) , भट्टा परसौल में,
 उ० प्र० पुलिस द्वारा लाठी गोली चलायी जा रही थी , 
जिसमे कितने किसानो की हत्या की गयी , 
किसानों के घरों में घुस कर पुलिस के लोगों ने महिलाओं , 
लड़कियों पर अत्याचार किये , उके घरो में आग लगा दी गयी , 
घर का सारा सामन नष्ट कर दिया गया   , 

उस समय ये सारे  मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और नेता ,
कंहा थे , आज जो हाय तोबा मच रही है , क्या सिर्फ इसलिए क़ि ,
दिल्ली में जो हुआ , उनका सम्बन्ध धनी और संपन्न माने जाने वाले , तबके से है ,

या फिर पीड़ित और हाय तोबा मचाने वालो के  आपसी रिश्ते हैं , 
अन्ना , शांतिभूषण , केजरीवाल या अन्य गाल बजने वालों को
 किसानो की  माँ, बहनों पर पुलिसिया  ज़ुल्म नहीं दिखाई दिया था .
क्या ज़वाब है , इसका किसीके पास ,

क्या मानवाधिकार सिर्फ उनके लिए हैं जो पैसे वाले है , 
या फिर उनके लिए है जो अपनी बात को मीडिया तक पहुचाने का मूल मन्त्र का प्रबंधन कर सकने में माहिर है .

जब तक नज़रों क़ि यह असमानता बनी रहेगी , 
तब ताक चाहे  बाबा रामदेव हों या फिर कोई और , इसी तरह दमन का शिकार होते रहेंगे .

इसलिए मानवाधिकार का ढोल बजाने वालो और नेताओ , 
सबसे पहले अपनी नजरे सुधारो और बडे तथा ताकतवर और गरीबों , किसानो  पर होने वाले अत्याचारों ,
 का भेद करना बंद करो तभी अत्याचार और दमन की  चक्की से मुक्ति मिलना संभव है .
वरना कल दिल्ली में हुआ है वो कल और कंही भी  हो सकता है .


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