23.6.11

ईश्वर का अन्याय

 ईश्वर का अन्याय
* उसने (ईश्वर ने) स्वयं तो खूब मूर्तियाँ बनाईं | हम लोगों की , पशु-पक्षियों, जंगल पहाड़ नदी समुद्र चाँद सूरज सितारों और तमाम चीज़ों की , अपनी इच्छानुसार,अपने मनोरंजन के लिए  । वही  अब हमसे कहता है कि मेरी (ईश्वर की) मूर्ति मत बनाओ । खबरदार जो बनाया ! बताइए कितना बड़ा अन्याय है हमारे साथ ?
हिजाब और नक़ाब
लड़कियाँ खूब हिजाब कर रही हैं । बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर एक मित्र ने फेसबुक पर लिखा कि समाधान शरीयत पालन करने में है। हो सकता है इसमें सच्चाई हो , अन्यथा यदि नारी मुक्ति हर हाल में  उन्मुक्तता ही  चाहती है और कोई बंधन उसे मंजूर नहीं ,तो फिर वह उसका खमियाज़ा भी भुगते, कीमत अदा करे या फिर उनसे निपटे  ।
इसी प्रकार राज का काज भी गुप्तचर सेवाओं के बल पर चलता है , यानी नक़ाब से । सब छिन्न भिन्न कर दिया अँग्रेज़ी डिमॉक्रेसी ने पारदर्शिता के नाम पर । फिर आर.टी.आई ने तो प्रशासन की एब्सट्रैक्ट कला को मूर्तिकला में तब्दील कर दिया , चाहे चिड़ियाँ बीट करें या बच्चे पेशाब से तर ।
सोने की चिड़िया
भला कोई बताए, नब्बे किलो लोने में कितनी सोने की चिड़िया बनेंगी और तीन सौ किलो चाँदी में कितनी चाँदी की चिड़िया । अब कोई क्यों नहीं कहता कि देश की सोने-चाँदी की चिड़िया तो बाबाओं के शयन कक्ष में क़ैद है । और यह कि यदि मठों-मंदिरों की संपत्ति यदि सार्वजनिक हो जाय तो भारत का एक रूपया अमरोका के पचास डॉलर के बराबर हो जाय ।

1 comment:

  1. आदरणीय वरिष्ट नागरिक जी,

    वास्तव में इश्वर बरा ही अन्यायी है , आप जैसे महानुभावों को सिर्फ कुछ कारें , कुछ बंगले , कुछ करोर रुपये,
    और उस बाबा के शयन कच्छ में ९० किलो सोना और ३०० किलो चांदी.

    पर सच्चाई यह है कि अभी ऐसे ऐसे कम से कम १००० कमरे होंगे. क्योंकि मेरे पास बाबा के सभी कारनामों कि पक्की सुचना है , जो बिना इतना सोना चांदी हुए नहीं चलाए जा सकते.

    कितना अफ़सोस है ये सब उन्होंने अपने पास रखा. यदि वे ये सब सरकार को दे देते , तो कितने ही ए राजा, कल्मारी , करुन्निदी उसमे से बनाये जा सकते थे.

    जिससे मेरे अभिन्न मित्र के पास भी एक आध एक्स्ट्रा बंगला हो सकता था, जिन्हें अंदाजा ही नहीं है कि ९० किलो में कितनी चिरिया बनती हैं. (मेरा काम सोने का रहा है, किसी को बताना नहीं, कभी कभी वो चिरिया किसी किसी के द्वारा मेरे पास बिकने आती थी . एक चिरिया मैं तो दस ग्राम के हिसाब से लेता था . जबकि वो कम से कम २० ग्राम कि होती थी.

    बाबा के कारनामों कि संछिप्त सूची क्योंकि कमेंट्स में शब्दों की सीमा है :
    What made a man of miracles into a living God? Simply miracles can't take you to the Godliness. After all there are many who perform some or other sorts of miracles. But Satya Sai Baba lived his life for the people. He not only occupied the minds of the people but won their hearts, too, by taking up many social projects.



    The Sri Sathya Sai General Hospital was opened in Whitefield, Bangalore, in 1977 and provides complex surgeries, food and medicines free of cost. The hospital has treated over 2 million patients.

    The Sri Sathya Sai Central Trust runs several general hospitals, two specialty hospitals, eye hospitals and mobile dispensaries and conducts medical camps in rural and slum areas in India. The Trust has also funded several major drinking water projects. One project completed in 1996 supplies water to 1.2 million people in about 750 villages in the drought-prone Anantapur district in Andhra Pradesh. The second drinking water project, completed in 2004, supplies water to Chennai through a rebuilt waterway named "Sathya Sai Ganga Canal". Other completed water projects include the Medak District Project benefiting 450,000 people in 179 villages and the Mahbubnagar District Project benefitting 350,000 people in 141 villages. In January 2007, the Sri Sathya Sai Central Trust said it would start a drinking water project in Latur, Maharashtra. In 2008, 2 million people in the state of Orissa were affected by floods. As a relief measure, Sri Sathya Sai Seva Organization, has built 699 houses as a part of their first phase in 16 villages by March 2009.

    Sathya Sai Baba's Educare program seeks to found schools throughout the world with the goal of educating children in the five human values. According to the Sai Educare site, schools have been founded in 33 countries, including Australia, Mexico, the United Kingdom and Peru.

    In Canada, the Fraser Institute, an independent Canadian research and educational organization, ranked the Sathya Sai School of Canada as one of the top 37 elementary schools in Ontario.

    On 23 November 1999, the Department of Posts, Government of India, released a postage stamp and a postal cover in recognition of the service rendered by Sathya Sai Baba in addressing the problem of providing safe drinking water to the rural masses.

    On 23 November 2001, the digital radio network Radio Sai Global Harmony was launched through the World Space Organization, United States.

    In January 2007, an event was held in Chennai Nehru stadium organised by the Chennai Citizens Conclave to thank Sathya Sai Baba for the 200 crore water project which brought water from the River Krishna in Andhra Pradesh to Chennai city.

    जय साईं राम ,
    मेरा तो धंदा ही चोपट हो गया .

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