29.6.11

प्राकृतिक, शुद्ध, सात्विक और शाकाहारी नमक – सैंधा नमक

साल्ट शब्द का मतलब

साल्ट Salt लेटिन शब्द साल Sal से बना है, जो सोल Sol से लिया गया है और सोल Sol शब्द Sole का पर्याय है। सोल Sole का मतलब है नमक तथा पानी का घोल और सोल sole लेटिन भाषा में sun या सूर्य को कहते हैं। पौराणिक दृष्टि से sole का मतलब तरल सूर्य का प्रकाश Liquid Sunlight है, या सौर ऊर्जा का तरल रेखागणितीय रूपाँतर जो जीवन के सृजन और पोषण की क्षमता रखता है। सम्भवतः यही इस पृथ्वी पर फैले समन्दर में जीवन की उत्पत्ति का रहस्य है।
केल्टिक भाषा में साल्ट को hall कहा गया है, जो जर्मन शब्द heiling से प्रेरित है। heiling का मतलब holy है जो heil से बना है जिसका मतलब है whole या well-being या health और hall का अभिप्राय ध्वनि या sound (जर्मनी में schall) भी है। schall शब्द hall का लम्बा उच्चारण है, जर्मनी में जिसका मतलब प्रतिध्वनि या गुँजन है। गुँजन में vibration होती है। क्या केल्ट यह जानते थे कि नमक में सारे तत्वों की गुँजन होती है। Hall भी जर्मन शब्द heil (जर्मन में Health) की ही गुँजन है। वे ऊर्जाहीन शरीर में hall या नमक द्वारा ऊर्जा के प्रवाह को सन्तुलित करना भी जानते थे। साल्ट को हेलाइट halite भी कहते हैं, यह भी दो केल्टिक शब्दों hall यानी नमक और lit यानी लाइट या सरल शब्दों में कहें तो लाइट वाइब्रेशन। हिमालय से निकले प्राकृतिक, शुद्ध, जैविक, पूर्णतः शाकाहारी और पवित्र नमक है (सैंधा नमक) में वे सारे 94 तत्व होते हैं जिनसे हमारा शरीर बना है, या वे सारे तत्व जो उस समन्दर में थे जहाँ जीवन की उत्पत्ति हुई। व्रत और उपवास में सैंधा नमक ही प्रयोग किया जाता है। रोचक तत्थ्य यह भी है कि हमारा रक्त भी सोल Sole है इसमें भी वे सारे तत्व हैं जो उस समन्दर में थे, जहाँ से जीवन की उत्पत्ति हुई थी।

सफेद सोने से सफेद जहर का सफर

एक ओर जहाँ कहा जाता है कि नमक के बिना जीवन अकल्पनीय है और इसे सफेद सोना कहा गया है और आज हम नमक खाने से कई रोगों के शिकार हो रहे हैं, मर रहे हैं। यह कैसा विरोधाभास है, यह क्या माजरा है। चलिये मैं आपको वास्तविकता बतलाता हूँ। जो परिष्कृत Refined नमक या टेबल सॉल्ट आज हम खा रहे हैं वह प्राचीन काल में प्रयुक्त होने वाले नमक (सैंधा नमक) से बिलकुल भिन्न है, वह नमक है ही नहीं वह सिर्फ सोडियम क्लोराइड है। नमक में तो वे सभी 94 तत्व होते हैं जिनसे हमारा शरीर बना है।

हमारे पूर्वज नमक की महत्ता को समझते थे। जहाँ भी उन्हें नमक मिला, उसकी हिफाजत खजाने की तरह की। नमक के लिए लड़ाइयाँ लड़ी गई। प्राचीन काल में रोम के सिपाहियों को पगार में नमक दिया जाता था। Salary शब्द भी salt शब्द से ही बना है। जीवित रहने के लिए नमक सोने से ज्यादा अहमियत रखता था। इसीलिए इसे सफेद सोना White Gold कहा जाता था।

आज का टेबल सॉल्ट समुद्र के गन्दे पानी से बनाया जाता है, जिसमें मरी हुई, सड़ी हुई मछलियाँ और अन्य जीव-जन्तु होते हैं। कारखाने में इस पानी से सिर्फ सोडियम क्लोराइड अलग कर लिया जाता है। बाकी बहुमूल्य तत्व अलग कर दिये जाते हैं। नमक बनने के समय से लेकर आपकी रसोई तक के सफर में नमी के कारण यह खराब न हो, इसमें डलियाँ न बने, इसलिए इसमें कुछ ऐन्टी-केकिंग रसायन जैसे सोडियम एल्यूमीनोसिलिकेट, सोडियम या पोटेशियम फेरोसायनाइड आदि मिलाये जाते हैं। हमारे देश में सोडियम एल्यूमीनोसिलिकेट का प्रयोग होता है। ये सब शरीर के लिए घातक विष हैं। एल्यूमीनियम हमारे मस्तिष्क और नाड़ियों को क्षतिग्रस्त करता है और एल्झाइमर जैसे रोग पैदा करता है। रतन टाटा बड़े चतुर व्यवसाई हैं। वे विज्ञापनों में फ्री फ्लोइंग बता कर अपने टाटा नमक की बड़ी तारीफ करते हैं, ताकि कभी कोई पूछ ले कि आप नमक में ऐन्टी-केकिंग रसायन क्यों मिलाते हो तो वे चट से सफाई दे सकें कि नमक को फ्री फ्लोइंग बनाने के लिए। आहारशास्त्री इस तरह के सोडियम क्लोराइड को सफेद ज़हर की संज्ञा देते हैं।

भारत में नमक का महत्व

हमारे यहाँ नमक पर कई कहावतें बनी हैं जैसे जले पर नमक छिड़कना, नमक-मिर्च लगाना, नमक का कर्ज चुकाना, आटे में नमक के बराबर आदि। नमक हराम और नमक हलाल फिल्में आपने जरूर देखी होंगी। नमक का हमारे जीवन में इतना महत्व है कि लोग नमक का नाम लेकर कसमें खाते रहे हैं और यह माना जाता है कि जो आपका नमक खा ले वह आपके साथ गद्दारी नहीं कर सकता। शोले में कालिया भी नमक का वास्ता देकर ही गब्बर से अपनी जान बचाने के लिए गुहार करता है और कहता है, "सरदार, मैंने आपका नमक खाया है!"। ऑकारा फिल्म का “जबां पे लागा लागा रे नमक इस्क का” गीत पर बिपाशा बासु के ठुमके सबको याद होंगे। नमक स्त्रियों की सुन्दरता के लिए भी पहली आवश्यकता है। आप मदर इन्डिया में राजकुमार का वह डायलोग नहीं भूले होंगे, जिसमें उन्होने नर्गिस के गाल चख कर तारीफ़ में कहा था, “तुम तो बड़ी नमकीन लग रही हो, लगता है जैसे सारे गाँव का नमक तुम्हीं में आ गया हो।” अमिताभ का ये गीत आज भी लोगों के कानों में गूँज रहा है, ... समन्दर में नहा कर तुम बड़ी नमकीन लग रही हो।

सन् 1930 की उस घटना को कौन भारतीय भूल सकता है, जब क्रूर अंग्रेजी हुकूमत ने नमक पर भारी कर लगा दिया था। कोई भी न तो इसे बना सकता था और न ही सरकार के अलावा किसी और से ख़रीद सकता था। तब महात्मा गाँधी ने नमक आँदोलन किया था और हजारों लोगों की विशाल भीड़ को साथ लेकर 12 मार्च 1930 को साबरमती से डाँडी तक 238 कि.मी. पैदल चल कर अपने लिए मुट्ठी भर नमक बनाया और नमक कानून की धज्जियाँ उड़ा दी थी। यह एक ऐसा सफल आंदोलन था जिसने न सिर्फ ब्रिटेन बल्कि सारे विश्व को स्तब्ध कर दिया था। जिस नमक पर तानाशाही अंग्रेजी हुकूमत भी टेक्स नहीं लगा सकी, स्वतंत्र भारत में आज उसी नमक पर 4% वेट टेक्स कर लगा कर सोनियाँ जी आज महात्मा गाँधी की याद में डाँडी यात्रा करके लौटी  हैं। वाह री सोनिया मैं तुम्हें इसके सिवा क्या कहूँ कि सौ चूहे खाकर बिल्ली हज़ करने निकली है।

अधिक नमक शरीर पर एक बोझ है

हमारे शरीर को रोज 4-5 ग्राम  नमक की  आवश्यकता होती है। हम में से अधिकतर लोग नमक की कमी से ग्रसित हैं, हालाँकि हमारा शरीर सोडियम क्लोराइड की आवश्यकता से ज्यादा मात्रा के बोझ से पीड़ित है। हम रोज औसतन 12 से 21 ग्राम टेबल साल्ट या सोडियम क्लोराइड खा रहे हैं, जब कि हमारे गुर्दे रोज मात्र 5.29 से 7.77 ग्राम सोडियम क्लोराइड का उत्सर्जन कर सकते हैं। इससे ज्यादा सोडियम क्लोराइड हमारे शरीर के लिए एक कोशिकीय विष के समान है, हृदय, गुर्दों और सभी अंगों पर एक बोझ है और शरीर जल्दी से जल्दी इससे छुटकारा पाने की कौशिश करता है। सोडियम क्लोराइड की इस ओवर डोज़ को शरीर पानी में मिला कर, उसमें सोडियम तथा क्लोराइड को ऑयनाइज़ कर निष्क्रिय करने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया में कोशिकाओं से उत्कृष्ट पानी बाहर निकल जाता है और कोशिकाएँ निर्जलीकृत (डिहाइड्रेट) होकर मरने लगती हैं। इस तरह टेबल साल्ट के ज्यादा सेवन से शरीर में सूजन आ जाती है, यानी ऊतकों में अम्लीय पानी इकट्ठा हो जाता है। इसलिए चिकित्सक नमक कम खाने की सलाह देते हैं।

सामान्य परिष्कृत (Refined) या टेबल सॉल्ट सेवन करने के घातक परिणाम

साधारण नमक में 97.5% सोडियम क्लोराइड और 2.5% रसायन जैसे आयोडीन, ऐन्टी-केकिंग एजेन्ट्स, पोटेशियम आयोडाइड, सोडियम-बायोकार्बोनेट, ऐल्यूमीनियम लवण, सोडियम-मोनो-ग्लूटामेट MSG आदि मिलाये जाते है, जो अस्वास्थ्यप्रद और शरीर के लिए घातक हैं।

उसे बनाते समय 1200 डिग्री F तापमान पर गर्म किया और सुखाया जाता है जिसके कारण उसकी आणविक संरचना बिगड़ जाती है।

इसमें वे  सभी 84 तत्व  जिनसे हमारा  शरीर बनता है और जो  हमारे लिए बहुत आवश्यक हैं, सोडियम क्लोराइड छोड़ कर बाकी को अलग कर दिया जाता है। साधारण रिफाइन्ड नमक प्रयोग करने से शरीर में इन तत्वों की कमी के कारण कई रोग होने की संभावना रहती है। इसे सफेद और उजला बनाने के लिए ब्लीचिंग एजेन्ट भी मिलाये जाते हैं, ये भी शरीर के लिए हानिकारक हैं।

नमक से इश्क़ बीमारियों को दे दावत

नमक से इश्क़ बीमारियों का कारण बन सकता है। नमक के प्रति बढ़ता चटोरापन हमें उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है। नमक में मौजूदा सोडियम से ब्लड प्रेशर बढ़ता है जिससे मोटापा, हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। उच्च रक्त चाप के दस मरीजों में से तीन की बीमारी का कारण नमक का अधिक सेवन होता हैं। अधिक नमक खाने के कारण दुनिया भर में हर साल 70 लाख लोग मरते हैं। यहीं नहीं ज्यादा नमक खाने से कैंसर और किडनी में पथरी जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। दरअसल, अधिक नमक खाने से शरीर हड्डियों से अधिक कैल्शियम खींचता हैं जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। छह देशों में एक लाख 75 हजार लोगों पर किये गये 13 अध्ययनों के विश्लेषण से पता चलता है कि रोजाना पांच ग्राम अधिक नमक खाने के कारण स्ट्रोक का खतरा 23 प्रतिशत और हृदय वाहिका रोग का खतरा 17 प्रतिशत बढ़ता है।

अन्तिम सन्देश

यह तो आपने समझ ही गये होंगे कि कि अब रिफाइन्ड नमक को छोड़ कर प्राकृतिक सैंधा नमक प्रयोग करना है। लेकिन नमक की मात्रा को तो हमें सिमित करना ही होगा। औसतन हमें 6 ग्राम नमक प्रति दिन सेवन करना चाहिये। इसमें आपके भोजन में छुपे हुए नमक की मात्रा भी शामिल है। अंत में मैं आपको नमक कम खाने के कुछ रहस्य भी समझा देता हूँ। भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए नमक को कम कर काली मिर्च, नीबू, सिरका, टमाटर, प्याज, लहसुन, धनिया, पुदीना, मसाले आदि का प्रयोग करें। सब्जियाँ, सूप या अन्य व्यंजन बनाते समय ग्रहणियाँ ध्यान रखें कि नमक हमेशा व्यंजन पकने के बाद आखिर में डालें। व्यंजन में नमक कम डालने पर भी अपेक्षाकृत ज्यादा नमकीन व स्वादिष्ट लगेगे। बाजार में उपलब्ध सारे खाद्य पदार्थों में खूब नमक डाला जाता है (नमक को वे प्रिजर्वेटिव की तरह प्रयोग करते है) इसलिए हमें इनका प्रयोग कम से कम करना चाहिये। कच्ची सब्जियाँ और फल ज्यादा खाँये और उन पर ऊपर से नमक भी नहीं छिड़कें। डिब्बा बंद भोजन प्रयोग करते समय डिब्बे का नमकीन पानी, तरल फैंक दें। कुछ दिनों तक आप नमक कम खायेंगे तो कम नमक खाने की आदत पड़ जायेगी।

Dr. O.P.Verma

M.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
President, Flax Awareness Society
7-B-43, Mahaveer Nagar III, Kota (Raj.)
Visit us at http://flaxindia.blogspot.com
09460816360

6 comments:

  1. bahut sarthak post.aap ki har post gyan ka bhandar hai isiliye aapse ek guzarish hai ki aap apni agli post ''SORAISIS ''bimari kyon hoti hai aur iske kya sahi ilaz hain par likhen taki ham apne ek mitr ki samasya ka samadhan kar saken.

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  2. नमक के बारे में इतनी विस्‍तृत जानकारी देने के लिए आपका आभार। आपकी बतायी बातों पर पूर्ण गौर किया जाएगा।

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  3. bahut samyik aalekh prastut kiya hai aapne .namak ke prayog ke sambandh me vistrit charcha dwara aapne kai naye tathyon se avgat karaya hai .aabhar

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  4. बहुत ही अच्छी और ज्ञानवर्धक जानकारी है.मेरे विचार में इस तरह के उपयोगी लेख अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने चाहिएँ.
    इस अच्छे लेख हेतु लेखक को बधाई.

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  5. आदरणीय डा वर्मा जी,

    में आपके सारगर्भित लेखों से बहुत प्रभावित हुआ हूं. और मैंने इन साधनों की जानकारी अपने ब्लॉग में डाल दी है, जिससे इससे जितनों को लाभ हो अच्छा. उस का लिंक है .
    http://worldisahome.blogspot.com/2011/06/sure-for-your-health.html

    इसके अलावा आप एलोपथी के दुष्प्रचार को बताने वाली एक साईट को भी जरुर देखें , जिससे लोगों कि आँखें खुले.

    मैं ११ साल अमेरिका में रहा हूं. और मुझे पता है वाह कोई डा. उस माफिया के खिलाफ नहीं जा सकता.

    उस साईट का लिंक :

    http://worldisahome.blogspot.com/2010/06/madical-mafia-allopathy.html

    आपका पुनः धन्यवाद
    अशोक गुप्ता
    दिल्ली

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  6. itna boring article nahin dekha. kaun se 94 tatva hain batayenge kya? bahut chasni laga ke likha ha. ik doctor ko ye shobha nahin deta.

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