if it is possible at your end to publish this poem.please do oblige me.
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मैं हूँ पेड़।
नीम,बबुल,आम,बड़,पीपल,
सागवान,सीसम और चन्दन का पेड़।
मैं हूँ पेड़।
मैं तुम्हें सब कुछ देता।
फूल देता,फल देता।
सूखने के बाद लकडी देता।
और जो है सबसे आवष्यक कहलाती है
जो प्राणवायु,ऐसी ऑक्सीजन वो भी मैं ही तुम्हें देता।
मैं हूँ पेड़।
मैं तुम्हें सब कुछ देता।
बदले में तुमसे क्या लेता,कुछ भी तो नहीं लेता।
और तुम मुझे क्या देते ? बताओ तो जरा
हाँ लेकिन तुम
काटते हो मेरी टहनियाँ,मेरी शाखाएँ,मेरा तना
मुझे लंगडा व लूला बनाते हो।
मैं हूँ पेड़।
मैं तुम्हें सब कुछ देता।
तुम रूठ जाओ तो क्या होगा नुकसान ?
कुछ भी नहीं फिर भी तुम्हें मनाती हैं माँ और बहन
मैं रूठ जाऊँ तो क्या होगा ? कौन मनाएगा मुझे
और मैं नहीं माना तो !
आक्सीजन कौन देगा तुम्हें
वर्षा भी नहीं होगी,पानी नहीं मिलेगा
सूर्य के प्रकोप से कौन बचाएगा
पथिक को विश्राम कहा मिलेगा।
तुम्हें फल,फूल,दवा और लकड़ी कौन देगा।
सोचा है तुमने कभी ?
मैं हूँ पेड़।
मैं तुम्हें सब कुछ देता।
मैने देखा है आप मुझे लगाने के नाम पर रेकार्ड बनाते है।
लगाते दस और बताते सौ है
और चल पाते है उनमें से भी मात्र कुछ पेड़
बताओ मुझे
तुमने जो पेड़-पौधे लगाए
उनको पानी कितनी बार दिया।
कितनों की सुरक्षा की और पेड़ बनाया।
हॉ मैं स्वयं जब अपनी संतति फैलाने की कोशिश करता हूँ ।
अपने बीजों को हवा से दूर-दूर फेंककर उगाना चाहता हूॅ।
तो तुम उसमें भी डाल रहे हो रूकावट
बताऊं कैसे ?
तुमने जमीन को पौलिथीन की थैलियों से बंजर बना दिया है
इन थैलियों ने जमीन में फेला रखा है अपना साम्राज्य
ये थैलियॉं मेरे बीज को,
मेरी जड़ों को जमीन में जाने नहीं देती
मुझे उगने को पनपने को,जगह नहीं देती
अगर यह स्थिति रही तो,
एक दिन धरा हो जाएगी मुझसे विरान
मिट जाएगा धरा से मेरा नामो-निषाँ
भला मेरा तो इससे क्या जाएगा
पर बताओ मानव ऑक्सीजन कहां से पाएगा।
मैं हूँ पेड़।
मैं तुम्हें सब कुछ देता।
मुझे लगाकर ऐसे ही छोड देने वाले
मेरे नाम पर रेकार्ड बनाने वाले
मेरी परवरिष नहीं करने वाले
तुम्हें तो सजा मिलनी चाहिए
सजा भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि
भ्रूण हत्या करने वाले को मिलती है जैसी।
वोही सजा ऐसे लोगो को मिलनी चाहिए
क्योंकि पौधों को लगाकर उनकी रक्षा न करना
उसे मरने के लिए छोड़ देना भ्रूण हत्या के समान है।
मुझे यह सब कहना पड़ा।
अपनी पीड़ा को व्यक्त करना पड़ा
क्योंकि मैं चाहता हूँ आपका भला
आप भी चाहो मेरा भला।
मैं हूँ पेड़।
मैं तुम्हें सब कुछ देता।
युवा सामाजिक कार्यकर्त्री
दिव्या संजय जैन
पता-मकान नं.-59,सेक्टर नं.-4
गाँधीनगर चित्तौडगढ़ (राज.)
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Divya Jain
D/o Sanjay Jain
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आपने पेडों का दर्द बताया है, जी हां वे बेजुबान क्या कह पाते है,
ReplyDeletevery nice ....
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