30.6.11

पावली की पदोन्नति । Part- 1.


पावली की पदोन्नति । 
Part- 1.

सौजन्य-गूगल

बताइए ना, बेकसूर रुपया  कितना अखण्ड था?
पावली  छाप कहलाया  वह, पाखंडी  होते  ही ..!!"

पावली= कमअक्कल, बुद्धिहीन ।
                                                                         
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"क्यों दवेजी, आपको क्या लगता है? काले धन के विरुद्ध चल रहे आंदोलन के चलते, सरकार, ५०० और १००० रूपये के नोट रद्द कर  देगी?" अधिक मूल्य की नोट रद्द होने के भय से कांप रहे एक मित्र ने मुझ से सवाल किया ।

चेहरा गंभीर करके, किसी महान चिंतक की अदा में, मैंने उत्तर दिया,"पता नहीं, पर  इतना ज़रूर है कि, हमारे महान भारत में, काला धन और भ्रष्टाचार, अगले  ५०० या १००० साल तक, मिटने वाले नहीं है..!! चाहे  कोई  कितने ही आंदोलन क्यों न करें?"

ड़री हुई आवाज़ में, मित्र ने फिर सवाल किया," क्यों? आप ऐसा क्यों कहते हैं?"

मैंने उन्हें विस्तार से समझाया," देखिए,अण्णा हज़ारे, मानो सच्चे मन से लोक पाल बील को भले ही अमल में लाना चाहते हो पर, उनकी बढ़ती उम्र को ध्यान में रखते हुए,ज्यादा दिन तक उपवास करना, उनके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है और रही बाबा रामदेवजी की बात तो, ३० जून २०११ से चवन्नी (पावली) को चलन से हटा कर सरकार ने, आंदोलनकारीओं और देश की जनता को,अपनी शुद्ध नियत का परिचय करा दिया है..!! आज चवन्नी रद्द हुई है, कल को ५००-१००० के नोट भी रद्द हो सकते है? चवन्नी से ५००-१००० तक की सफर तय करने में, थोड़ा वक़्त तो लगता ही है ना?"

मित्र को लगा, उनकी गंभीर बात को मज़ाक में लेकर,   मेरी बातों से, मैं उन्हें उलझा रहा हूँ, अतः  मुझ से थोड़ा नाराज़ होकर, स्वतः कुछ बड़बड़ाते हुए, वह अपने रास्ते चल दिए ।

पर, मुझे ऐसा महसूस होने लगा मानो,`पावली-पावली-पावली` कहते हुए,   मेरे दिमाग पर, रद्द की गई चवन्नीओं को पिघलाकर बनायी गई, छोटी सी हथौड़ी  कोई पीट रहा है..!!

मेरे मन में, रह-रह कर एक ही सवाल उठ रहा है," चवन्नी रद्द करके सरकार ने चवन्नी का अधःपतन किया या उसकी पदोन्नति कि?"


हालाँकि, हमारे पड़ोसी शर्मा जी का मानना है कि," चवन्नी का प्रोमोशन कैसे हुआ? दवे जी, आप ही बताईए ना, आजकल चवन्नी में क्या मिलता है? चवन्नी में, सब्जी वाला, हरा धनिया-मिर्ची देने से भी इन्कार कर देता है..!!  क्या अण्णा हज़ारे जी और बाबा जी ने इतना बड़ा आँदोलन, चवन्नी रद्द कराने के लिए, आरंभ किया है? सच बात तो यह है कि, काला धन नाबूद करने के लिए, आंदोलन कर रहे सारे आंदोलनकारीओं को, सरकार ने ये संदेश दिया है कि, आपके इस फालतू आँदोलन की हैसियत, हमारे दिल में सिर्फ एक चवन्नीभर ही है..!! अब बताइए, ये तो पावली का  सरासर पतन हुआ है कि नहीं..!!"

दोस्तों, छोड़ो यार शर्मा जी को..!! वो तो कभी सकारात्मक सोचते ही नहीं है..!!

पर, मुझे तो लगता है कि, सरकार अब रद्द की गई सारी चवन्नीओं को पिघलाकर, उसे एक नये रूपये का रूप प्रदान करेंगी, इसका सीधा अर्थ यही हुआ कि, चवन्नी अब एक रुपया कहलाएगी?  पावली का एक रूपये में रूपांतर,उसका प्रोमोशन हुआ की नहीं? आपके चेहरे की मुस्कान बता रही है कि, आप मेरी बात से सहमत है..!! जनाब, अब आप ही बताइए, मेरी बात में दम है कि नहीं? हैं ना..!!

अरे, मैं तो ये भी मानता हूँ कि, पावली का प्रोमोशन करके सरकार ने, अपने हित में भी, एक बहुत बड़ा कदम उठाया है..!! अब आप पूछेंगे, कैसे?

वह ऐसे कि, काला धन और भ्रष्टाचार,पाकिस्तानी आतंकवाद, अमेरिका की दादागीरी के सामने घूटने टेकने वाली और मर्दानगीपूर्वक उनसे निपटने में अभी तक नाकामी का आरोप झेल रहे प्राइममिनिस्टर श्री मनमोहन सिंह जी और उनकी यु.पी.ए. सरकार को, सारा देश प्रकट या दबे स्वर में, `पावली छाप सरकार- पावली छाप सरकार` कह कर, उनका मज़ाक उड़ाते थे..!!

अब,ऐसे नारों से ख़फ़ा हो कर,थक-हार कर, सरकार ने, चलन से पावली को ही हटा दिया? मानो पूरे देशवासीओं को सरकार, ठेंगा दिखाते हुए, ये कह रही हो," हे..फटे दिमागवाले, निकम्मे-बेकार-नालायक आँदोलन कारी देशवासीओं, जाओं हमने चलन से पावली को ही मिटा दिया है, अब हमें `पावली छाप सरकार` कैसे कह पाएंगे? रामजी झूठ न बुलवाए..!! आज के बाद किसी को ये हक़ नहीं रहेगा कि, सारी सरकार को कोई `पावली छाप-पावली छाप सरकार` कहकर पुकारें? " 

वैसे, सरकार के पावली मिटाने के ऐतिहासिक फैसले का,समर्थन फ्रान्स की विख्यात कला संरक्षक लॅडी `मेरी एन.डी.विची` (१६९६-१७८०) ने भी किया है,

" The distance dosen`t matter; it is only the first step that is difficult." 

अर्थात्- दूरी कितनी लंबी है, इसका महत्व नहीं है, उस फ़ासले को मिटाने के लिए पहला कद़म उठाना, वही मुश्किल होता है..!!



अब जब, फ्रांस की इतनी बड़ी हस्ती,`मेरी एन.डी.विची` ने, यु.पी.ए. सरकार के समर्थन में, उस  ज़माने  में अगर,  इतनी बड़ी बात कह  दी थीं तो फिर, उस  लेडी  के  कथन  का  मान रखते  हुए, हमारे महान देश के सभी फटे दिमाग वाले, निकम्मे-बेकार-नालायक आँदोलनकारी देशवासीओं को, अपना आँदोलन अब  यह समझ कर स्थगित कर देना चाहिए कि, सरकार ने अपनी सच्ची निष्ठा-मन सा जताते हुए, चवन्नी से, १००० रुपये के नोट रद्द करने, जैसी  मुश्किल सी लगने वाली सफर  की,  लं...बी, दू..री  को तय करने हेतु, आज चवन्नी रद्द कर के, जब पहला कदम सफलतापूर्वक  उठा ही लिया है तो, कल यही सरकार ५००-१००० के नोट भी निरस्त कर देगी..!! फिर इसी सफर में, निरस्त होने की बारी होगी  भ्रष्टाचार की, फिर आयेगा काला धन, फिर आतंकवाद, फिर पाकिस्तान, फिर आयेगा अमेरिका, फिर...?

फिर आगे क्या?  इस महान देश की, महान सरकार के बारे में,अच्छी-अच्छी बातें, क्या मैं  अकेले ही  थोड़े ही ना सोचूँ? आप, अपना खुद का दिमाग कब लड़ायेंगे..!!

वैसे, हमारे शर्मा जी कहते हैं," पावली रद्द होने से, भिख़ारीओं को बड़ी राहत पहुँचेगी..!!"

चौकन्ने हो हर, आसपास देखते हुए, मैंने उन्हें चेताया," या..र, ज़रा ध्यान से..!! कोई सुन लेगा, नेताओं को भिख़ारी का उप-नाम हम नहीं दे सकते,हमारा हाल भी बाबा जी और उनके समर्थकों जैसा हो सकता है..!!"

शर्मा जी ने कहा," मैं तो, उन सच्चे भिख़ारीओं के बारे में, कह रहा हूँ, जो मंदिर के बाहर बैठ कर सचमुच भीख माँगते हैं..!! उनको भीख में, कोई चवन्नी देता था तो उन्हें मानहानि सा महसूस होता था,अब  ज्यादा अपमानित होने से, वे लोग बच जाएंगे?" शर्मा जी की बात बिलकुल सही है । शर्मा जी तो भिखारीओं की बात करते हैं?

एकबार, मैं और शर्मा जी  रेस्त्रां में चाय-नाश्ता करने गये। डटकर नाश्ता करने के बाद  वेटर, एक प्लेट में चाय-नाश्ते का बिल लेकर आया और शर्मा जी के सामने रख दिया । बिल देख कर, कंजूस शर्मा जी ने जेब से बिल जितनी ही रकम निकाली और प्लेट में  रख दी । ये देख कर मैंने, शर्मा जी को जब टोका," शर्मा जी, वेटर को टिप भी देना चाहिए..!!" तब  शर्मा जी ने, प्लेट में अलग से, एक चवन्नी  टिप के तौर पर  रख दी..!!

अब तक चेहरे पर मधुर सी मुस्कान बिखेरते हुए, शांत सा विनयी दिखने वाला वेटर, चवन्नी की टिप देखकर शर्मा जी पर भड़क उठा और तिरस्कार के भाव धारण कर, अपने चेहरे को विकृत करते हुए, प्लेट से चवन्नी उठा कर शर्मा जी के हाथ में वापस थमा दी..!!

मुझे बहुत शर्म महसूस हुई, पर शर्मा जी ने बिना शर्माये, चवन्नी जेब में रखी और उठ कर रेस्त्रां से बाहर आ गए..!!

मेरे कहने का मतलब सिर्फ ये है कि,भिखारी हो,वेटर हो,व्यापारी हो या फिर, छोटा सा बच्चा, इस असहनीय महँगाई में,आजकल पावली इतनी पवित्र हो चुकी थीं कि,कोई भी समझदार,पापी देशवासी,अपने पापों से मलिन हुए  अपवित्र हाथ से, पवित्र पावली को छूने की हिम्मत तक नहीं जूटा पा रहा था?


वैसे, या...र..!! पावली का अधःपतन हुआ हो या पदोन्नति हुई हो, हमको अब क्या लेना-देना..!!

पर ये बात तो सच है कि, आज़ादी के तुरंत बाद, इन पावलीओं का भी एक ज़माना था..!!

अ..हा..हा..हा..!! सन-१९६० में, एक दिन रास्ते पर किसी की खोई हुए, एक चवन्नी मुझे अनायास मिल गई और सभी घरवालों से छिपा कर, उस चवन्नी से, मैंने चार दिन तक, जो जल्से किए थे..!! अ..हा..हा..हा..!! आज भी उसे, याद कर के मेरा दिल गदगद हो उठता है..!!

आपको जानना है? मैने उस चवन्नी से क्या-क्या खरीदा और फिर आगे क्या हुआ था?

तो फिर तैयार हो जाइए, इस आलेख की अगली कडी-पार्ट-२ में हमारी-आपकी रोचक चवन्नी-कहानी को हम आगे बढ़ाएंगे..!!

दोस्तो, मेरे हमउम्र कई विद्वान दोस्तों ने कभी न कभी इस पवित्र पावली को जरूर सहलाया होगा, आपको उस पवित्र पावली कसम है एक बार सब मिल ज़ोर से नारा लगाएं..प्ली..ज़..!!


`जय-जय पावली परमात्मन्..!! जय-जय हिन्दुस्तान..!! मेरा भारत महान?`

मार्कण्ड दवे । दिनांक-३०-०६-२०११.

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