फेसबुकी संसार में यारो, बनते मीत हजार हैं
परिचित,भूले-बिसरे मित्रों का ये गजब संसार है
लेकिन बात हकीकत की इक, पूछ रहा है दोस्त कुंवर
कितने साथ निभाएंगे, जब फंसेगा कोई बीच भंवर
कलियुग का है दौर, यहां पर रिश्ता कौन निभाता है
मतलब का है नेह यहां और मतलब का ही नाता है
प्रेम की भाषा लिखने वाले,फेसबुकियों की चाल में
नामसझी में हलो किया तो समझो फंस गए जाल में
हालांकि सब नहीं है फर्जी, फिर भी सुन लो सीख मेरी
सावधान गर नहीं रहे तो,कल निकलेगी चीख तेरी
कुंवर प्रीतम
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