श्री गणेशाय नम:
''हे गजानन! गणपति ! मुझको यही वरदान दो
हो सफल मेरा ये कर्म दिव्य मुझको ज्ञान दो
हे कपिल ! गौरीसुत ! सर्वप्रथम तेरी वंदना
विघ्नहर्ता विघ्नहर साकार करना कल्पना ''
ॐ नम : शिवाय !
श्री सीतारामचन्द्रभ्याम नम :
''शिव महापुराण महिमा ''
*सकल ब्रह्माण्ड में है शिव -तत्व की ही सत्ता
जीवन में सर्वत्र है शिव-शब्द की महत्ता
एक शक्ति तीन रूप -सृजन-पालन-अंत
शिवत्व-प्राप्ति ही मानव का ध्येय अनंत *शिव ही हैं कल्याणकारी;शिव ही सुन्दरतम ;
शिव ही सत्य रूप हैं ;शिव हैं प्रभु परम;
इस तत्व को जो जानते निर्मल उन्ही का मन
शिव भक्ति रस में डूबते वे पुण्यशाली जन .
सूत जी बतलाइए पुराणों का कुछ तो सार
जिन पुराणों के श्रवण से मन का मैल छूटता
भ्रमित मानव के ह्रदय को कल्याण मार्ग सूझता .
पाप के इस युग-कुटिल से हमको भी बचाइये
मन के दोष दूर हो ; संतोष का निवास हो
अल्पायु मृत्यु भय हटे ,शिव में अटल विश्वास हो .
[जारी .....]शिखा कौशिक
वाह, भक्तिमय माहौल बना दिया है,
ReplyDeleteसाभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जय जय शिव शंकर
ReplyDeleteबहुत सराहनीय प्रयास प्रभु आपके इस प्रयास को सफल करें.बधाई
ReplyDeleteओम नमः शिवाय
ReplyDeleteहर हर बम बम ||
ReplyDeleteसावन मास का स्वागत ||
शानदार प्रस्तुति ||
बोल उमापति महादेव की जय
ReplyDeleteaapki bhawnayan to bahut hi sundar hain... par ``geet`` tatva gayab kar diya aapanay..
ReplyDeletesawan me sawn ka mahol bana diya aapne...badhai
ReplyDeletebahut acchi prastuti
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