पढ़ें-लिखे (IAS , IPS, IFS, IES), नास्तिक ,नव-धनाढ्य , हिंदुओं की फोज रोज तैयार हो रही है , क्या उसे भी दिशा देने का कोई उपाय है .
निम्न ब्लॉग मेरा श्री ब्रिज शर्मा जी से हुए पत्राचार का है .
शर्मा जी अनेकों भाषाओँ के विद्वान हैं , गीता जी का उर्दू में पद्दात्मक अनुवाद कर रहे हैं. भोपाल से हैं. मुझ पर विशेष कृपा है .
--------------------------------------------------------------------------
परम आदरणीय शर्मा जी,
शर्मा जी अनेकों भाषाओँ के विद्वान हैं , गीता जी का उर्दू में पद्दात्मक अनुवाद कर रहे हैं. भोपाल से हैं. मुझ पर विशेष कृपा है .
--------------------------------------------------------------------------
परम आदरणीय शर्मा जी,
चरण स्पर्श
जो काम आप कर सकते हैं ,मुस्लिम अल्गावादिओं की पोल खोलना , वह कोई और इतना अच्छा नहीं कर सकता.
पर जो पढ़ें-लिखे (IAS , IPS, IFS, IES), नास्तिक ,नव-धनाढ्य , हिंदुओं की फोज रोज तैयार हो रही है , क्या उसे भी दिशा देने का कोई उपाय है .........!
आपका विनीत
अशोक गुप्त
दिल्ली
------------------------------------------
गुप्ता जी नमस्कार ,आपने उचित प्रश्न किया है कि धर्म क्या है ?आज के समय मेरी द्रष्टि में धर्म केवल वही है जो गीता में बताया गया है अर्थात "परित्राणाय साधूनाम ,विनाशाय च दुषक्रितानाम ,धर्म संस्थापनाय "यानि धर्म स्थापन के लिए हरेक बुराई को मिटाना होगा ,और भले लोगों का रक्षण करना होगा .फिर धर्म अपने आप बच जायेगा .जैसे खेत से खर पतवार दूर करने और खाद देकर फसल बच जाती है .वैसे धर्म भी बच जाता है .आपको गीता के 13 वे अध्याय में विस्तारसे उतर मिल जायेगा .कभी आने पर और चर्चा होगी .
ई मेल के लिए धन्यवाद् .
आपका शुभाकांक्षी .
बी.एन.शर्मा .भोपाल .
अभी मैं इस्लामी आतंक कि पोल खोल रहा हूँ ,
No comments:
Post a Comment