आज सुबह मेरे एक सहयोगी एक लड़के को ले कर मेरे कमरे पे आ गए ......बोले नया लड़का है ....आजीवन सेवाव्रती बनने के लिए आया है ....आज दिन में इसका interview है ...तब तक आपके साथ रह लेगा ....उसे मेरे पास छोड़ के चले गए ............अब उसका interview था दिन में 2 बजे ....वहां तो बाद में देता ...पहले मैंने लेना शुरू कर दिया ...और फिर एक बार शुरू जो हुआ तो पूरे तीन घंटे चला ........और जो कहानी निकल के आयी वो आपके सामने हुबहू प्रस्तुत है .........कमल कान्त ...उम्र 18 वर्ष .....बारहवीं पास ........science से .....लगभग 45 % अंक ले कर .......उड़ीसा का रहने वाला है ......JHARSUGUDA स्टेशन पे उतर के लगभग 80 किलोमीटर दूर ..........एक गाँव है सेंदरी टांगर...झारसुगुडा से उसके गाँव पहुँचने के लिए तीन बसें बदलनी पड़ती हैं ....यहाँ पतंजलि योग पीठ में आजीवन राष्ट्र सेवा की इच्छा से आया है ......जाति का हरिजन ( मोची ) है ......उसके गाँव में लगभग 100 घर हैं ......लगभग 85 घर आदिवासी , 15 घर हरिजन और 4 -5 घर अन्य जातियों के हैं ......इनके गाँव से 2 किलोमीटर दूर मेन रोड पर एक काफी बड़ा गाँव है ....पामरा........ब्राह्मणों का गाँव है...अन्य जातियां भी रहती हैं .......पामरा में बिजली है पर इनके गाँव में नहीं है ....एक स्कूल है सरकारी ...1 से 5 क्लास तक ....पर मास्टर सिर्फ 2 हैं ........गाँव में 5 हैण्ड पम्प हैं सरकारी ....दो कुए थे जो अब सूख चुके हैं .......गर्मियों में वो हैण्ड पम्प फेल हो जाते हैं .........फिर उन दिनों पानी की बड़ी गंभीर समस्या पैदा हो जाती है .......गाँव के लोग तालाब के किनारे छोटे छोटे गड्ढे खोदते हैं उनमे जो थोडा सा पानी आता है उसे छान के ...उबाल के पीते हैं ...फिर जब वह पानी भी सूख जाता है तो गाँव की औरतें 2 किलो मीटर दूर ,पामरा से handpipe से पानी भर के लाती हैं ...वहां भी लम्बी लम्बी लाइन लगती है ...तो उस गाँव के लोग भी इन्हें दुत्कारने लगते हैं ...इसे ले कर रोज़ झगडे होते हैं ...........अब पीने के पानी का इतना झंझट है तो नहाना फिर दूर की बात है ...अब जिसे बहुत शौक हो वो 5 किलोमीटर दूर एक नदी पर नहा आता है ..पर भैया गर्मियों में जब तापमान 45 डिग्री हो जाता है तो ये शौक ज़्यादातर लोग नहीं पाल पाते.
खेती पूरी भगवान् भरोसे है ....बीस साल पहले एक छोटी नहर खुदी थी जिसमे आज तक पानी नहीं आया ......अपने पीने के लिए पानी नहीं तो गाय भैंस को कहाँ से पिलायें सो जानवरों को 6 महीना पालते है और 6 महीना छुट्टा छोड़ देते हैं .........अनाज में चावल हो जाता है ...थोडा बहुत गेहूं ...और मिर्च .......सरकार BPL कार्ड पे चावल देती है ...दाल हम खरीद लेते हैं ....मुख्य भोजन दाल भात ही है ...सब्जी अगर कभी मिल जाए तो मज़ा आ जाता है .........वैसे मिर्च की चटनी से भी चावल खा लेते हैं .. नमक के साथ पानी मिला के भी खाते ही हैं सब लोग ....पेट तो भर ही जाता है ...पर............(बहुत सी बातें बिना कहे ही कही जाती हैं) गाँव के हर घर में चावल की कच्ची शराब यानि हंडिया ...और महुआ यानी दारु उतारते हैं ........सब लोग पीते हैं ....सब लोग ......यहाँ तक की सातवीं क्लास का बच्चा भी पीता है ...तम्बाखू और गुटके का भी खूब चलन है .........गाँव में बिजली नहीं है फिर भी लोग battery रखते हैं जिसे 10 रु में बगल के गाँव पामरा से चार्ज करा लेते हैं ...फोन भी वहीं चार्ज करते हैं ....फोन तकरीबन सबके पास है ....टीवी भी........ पर उसपे सिर्फ CD चला के फिल्म देखते हैं .......हिदी फिल्में ही देखते हैं ज़्यादातर ...स्कूल में हिंदी आठवीं क्लास से शुरू होती है .......फिर भी सब लोग काम चलाऊ हिंदी तो जानते ही हैं ...वो कैसे भैया ????? फिल्म देख के .......कोटिशः धन्यवाद बॉलीवुड को .......हिंदी की जितनी सेवा और प्रचार प्रसार इस संस्था ने किया उतना किसी ने नहीं किया ...........गाँव की सड़क आज भी मिटटी की है जो बरसात में कीचड में बदल जाती है ..........सबसे नज़दीक काम चलाऊ डाक्टर 17 किलोमीटर दूर है और कायदे का अस्पताल 47 किलोमीटर दूर ...................सबसे नज़दीक हाई स्कूल 17 किलोमीटर ...कॉलेज 30 किलोमीटर दूर है .......गाँव के 4 -5 लड़के हाई स्कूल पास हैं ...graduate एक भी नहीं है ........लडकिय सिर्फ 5th तक ही पढ़ पाती हैं .
बगल के गाँव के ऊंची जाती के लोग हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते ....छूआ छूत मानते है ....उनके घर में प्रवेश वर्जित है ......बाहर बैठना पड़ता है ...पहले तो जमीन पर बैठा देते थे ...अब कुर्सी तो देते है ...पर सम्मान नहीं .....हमारे लिए अलग गिलास रखते हैं ....शादी विवाह में बुलाते तो हैं पर दूर बैठाते हैं ....... चमारों और आदिवासियों के लिए अलग लाइन लगती है ............सबसे अलग बैठा कर खिलाते हैं .........मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता ....इसलिए मैं ऐसे किसी कार्य क्रम में जाना नहीं चाहता .........मैं science से 12th पास हूँ इसलिए कुछ दिन गाँव के स्कूल में मैंने पढ़ाया भी है ...पामरा में कुछ बच्चों को ट्यूशन भी पढाता हूँ , फिर भी, मेरे साथ भी अस्पृश्यता का व्यवहार होता ही है .......हमारे गाँव से दो किलोमीटर दूर जंगल शुरू हो जाता है ...फिर वहां से आगे थोड़ी दूर एक पहाड़ी है ...उसके उस पार दो गाँव हैं .....एकमा और बोम्देरा .......वहां माओ वादी आते है ...कहते कुछ नहीं हैं ...बस लेक्चर देते हैं ...फिर भजन गाते हैं ........वहां अब 24 घंटा पुलिस आती है ....CRP भी है ......पहले उन गाँवों तक जाने के लिए रास्ता नहीं था ...अब पुलिस और CRP की गाडी जाने के लिए रास्ता बनाया है सरकार ने ...............आज़ादी के 65 साल बाद भी उस गाँव में सरकार पीने के पानी का ....बिजली का ........सड़क का ...स्वास्थय सेवाओं का ...शिक्षा का....या भरपेट भोजन का इंतज़ाम नहीं कर पायी .....पर crpf की गाडी जाने के लिए रास्ता बना दिया है सरकार ने ......crpf के कैंप के लिए रोज़ सरकारी tanker पानी ले कर जाता है .........
फिर क्या हुआ ........मैं बस सवाल पूछे जा रहा था और वो भोला भाला सा.... मासूम सा बच्चा मेरे सवालों के जवाब दिए जा रहा था ...........मैंने पूछा ...तुम्हे यहाँ आने की प्रेरणा कैसे मिली ....पातंजलि योग पीठ की योग कक्षा चलती है पामरा में ...वहां योग सिखाते हैं ....वहां के योग शिक्षक जीवन दानी हैं ...देश की सेवा में लगे हैं .......उनसे प्रेरणा ले कर और उन्ही से address वगैरह ले कर वो यहाँ आया था .....कुछ देर बाद वो लड़का चला गया ......मैं सोचने लगा ..........आज मेरे सामने जो लड़का बैठ था ,राष्ट्र सेवा को तत्पर .....बस बाल बाल बच गया ........उसका भाग्य अच्छा था जो आज वो यहाँ पतंजलि योग पीठ हरिद्वार में बैठा था ...वरना ये भी हो सकता था की वो किसी naxalite कैंप में बैठा बन्दूक चलाना सीख रहा होता ......
अब लड़का योग पीठ में आ गया है तो योग से भूख प्यास तृप्त करना सीख जाएगा | कहीं नकस्लवादियों के चंगुल में फंस जाता तो मार्क्स , लेनिन , माओ ,भगतसिंह को पढ़कर व्यवस्था बदलने के आपराधिक कार्य में लग जाता |अच्छी किस्मत वाला है,जो बच गया | है ना ?
ReplyDeletesahi kaha !!
ReplyDeleteसरक-सरक के निसरती, निसर निसोत निवात |
ReplyDeleteचर्चा-मंच पे आ जमी, पिछली बीती रात ||
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