13.8.11

Artical On Independance Day Of India

भ्रष्टाचार के मामले में कानून के दायरे के बजाए लागू करने के कारगर तरीके की चिता जरूरी है

आज का दिन भारत वर्ष की स्वतंत्रता का दिन हैं। सैकड़ों सालों की गुलामी और हजारों लोगों की शहादत के बाद देश को आजादी मिली थी। गांधी ने आजाद देश की एक कल्पना की थी जिसमें आजादी का लाभ समाज के अंतिम छोर के उस व्यक्ति तक पहुंचना आवश्यक था जिसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हैं। आज हम आजादी की 64 वीं सालगिरह मना रहें है। हम गांधी जी के सपनों के भारत हिसाब से देश का आकलन करें तो हम पाते हैं कि गांधीं के अंतिम छोर के आदमी की बात तो सभी राजनैतिक दल करने लगें हैं लेकिन वास्तव में आम आदमी की चिंता नेताओं को नहीं हैं। समाज के पिछड़े और दलित आदिवासी वर्ग के हितों की बात करने वाले ये नेता उनके विकास की बात तो छोड़ो उनके मान सम्मान तक को अपने अपने राजनैतिक हित साधने का मुद्दा बनाने में भी संकोच नहीं करते हैं। राजनीति समाज के हर हिस्से में इस कदर हावी हो चुकी है कि सभी समाजसेवी कहलाने वाले भी अपने आप को राजनीति से परे नहीं रख पा रहें हैं। आज हर एक की यह फितरत हो गई है कि आम आदमी जिन चीजों से प्रताडित हो उसे मुद्दा बनाओ और अपनी रोटी सेकों। आज ऐसा ही कुछ देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर हो रहा हैं। लोकपाल बिल के मामले को लेकर तरह तरह के तर्क वितर्क चल रहें हैं। प्रधानमंत्री, न्यायाधीश,संसद में सांसदों का आचरण और समूचे शासकीय अमले को इसके दायरे में लाने की बात की जा रही हैं।़ इसका आशय क्या यह नहीं है कि ऐसी मांग करने वालों का यह मानना हैं कि देश की विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका सभी भ्रष्टाचार के मामले में संदिग्ध हैंर्षोर्षो और यदि सच्चायी यही हैं तो फिर इस देश में किसी दूध से धुले लोकपाल को कहां तलाश किया जाएगार्षोर्षो आज भी देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई कानून बने हुए हैं। लेकिन इसके बाद भी इस पर कोई कारगर रोक नहीं लग पा रही हैं। देखा जाए तो आज जरूरत इस बात की है कि इन कानूनो को लागू करने वाली ऐजेसिंया पहले तो खुद ईमानदार हों और फिर भ्रष्टाचारी को दंड़ देने के कारगर उपाय करें। भ्रष्टाचार की शिकायत यदि भ्रष्टाचार से ही साबित नहीं हो पाएगी तो कोई भी कानून भला कहां और कैसे भ्रष्टाचार को रोक पाएगा? इसलिए किसी भी कानून के दायरे की चिंता करने के बजाए आज चिंता इस बात की करना जरूरी है कि इन कानूनों को कारगर तरीके से लागू करने के उपाय किए जाए और भ्रष्टाचारियों पर सख्ती से कार्यवाही करने का संकल्प लिया जाए वरना हमेशा ही ऐसे आंदोलन होते रहेगें और मुद्दे जस के तस रह जाएंगें।

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