2.8.11

मेरे जज्बात


समंदर हूँ मै हर वक्त बस खामोश रहता हूँ
मगर जिस दिन उठा उस दिन कोई जलजला होगा
ऐ दोस्त इस ख़ामोशी को मेरी कमजोरी न समझना
उठा हूँ जब भी मै उस दिन एक सैलाब आया है
अभी तो, रो रहा हूँ मै अपने हालात पर लेकिन
छुपा है क्या मेरे पहलु में ,ये वक्त बताएगा
मनीष

3 comments:

  1. mast likha hai pandey zi
    badhai !

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  2. शुक्रिया भाई ये मेरी जिन्दगी कि पहली रचना है ,
    जिसे मैंने शब्दों कि शकल दी है

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  3. bahot achcha likhe hain......

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