अंजामें गुलिस्ता क्या होगा ????
हमारे रोने के कारण----------
हम ४५% भारतीय अपने मताधिकार का उपयोग ही नहीं करते हैं.
हम २५% भारतीय अपने मत का उपयोग कौम के आधार पर करते हैं .
हम १५% भारतीय अपने वोट को शराब की बोतल और नोट के लालच में बेच डालते हैं .
हम १५% भारतीय मज़बूरी के कारण वोट देते हैं ,क्योंकि हम अपनी नापसंदगी का चयन नहीं कर पाते हैं .
हम गूंगे और बहरों की बस्ती में रहते हैं .
हमारा न्याय का प्रतीक चिन्ह अँधा है.
हमारा न्याय लचीला और अपूर्ण है .
हम जिन्दगी जीते नहीं हैं,बस ढ़ोते हैं.
हम रिश्वत देने और लेने में विश्वास करते हैं .
हमारी कथनी और करनी में बेजा फरक है.
हम खुद अपनी ही कनपटी पर बन्दुक रख कर जीते हैं.
हम डरपोक और कायर हैं.
हम किसी की भी गुलामी में जीने के आदी हैं.
हम विलायत को ऊँचा और खुद को हीन मानते हैं.
हम खुद को साम्प्रदायिक कहते हैं ,निरपेक्ष कहते हैं
हमें अपने भारतीय होने का गर्व ही नहीं है .
हम भारत पर गर्व नहीं करते हैं.
हम अपनी संस्कृति को जाहिल या गंवार समझते हैं.
हम देश प्रेम के जज्बे में नहीं जीते हैं.
हम खुद चोर हैं लेकिन पड़ोसी को ही चोर समझते हैं.
हमारी सरकार ने हमें टैक्स के जाल में इतना फँसा दिया है की चोर बने रहने में ही भलाई समझते हैं .
हमारी योजनाये ऐसे लोग बनाते हैं जिनके पास से गरीबी फटकती ही नहीं है .
हम अपने ही देश की सम्पती का नुकसान करते हैं
हम हर समस्या को काम रोक कर हल करने का प्रयास करते हैं.
हम सही को सही और गलत को गलत कहने से डरते हैं
हम एक दुसरे की आँखों के आंसू देख कर मस्त रहते हैं
हम अपने आप सब कुछ बदल जाएगा इस विश्वास में गाफिल हैं
हम जाग कर भी सोने का नाटक करते हैं
हम झूठ को सही ठहराने का प्रयास करते है
हम जैसे है वैसे ही रहेंगे क्योंकि हम जिन्दा लाशें हैं
हमारी समस्या एक बढ़िया संसदीय बहस के अलावा और कुछ भी नहीं हैं
हम काम नहीं करते काम नहीं होने का रोना रोते हैं
हम रोते हैं क्योंकि हम अपनी किस्मत लिखने का मादा नहीं रखते हैं
bhai vah !
ReplyDelete