महंगाई ने कहर ढा दिया, जान बचाओ भाई रे
कल सूरज की किरणों का भी बिल आएगा भाई रे
बाबू जी हैं शहर गए और मां बैठी इन्तजारी में
डाकिया बाबू अब मनीयाडर कब लाएगा भाई रे
शहर के बच्चे खेल रहे गेम वीडियो और फेसबुक
हमरे आंगन लालटेन अब कहां जलेगा भाई रे
पौबारह पच्चीस हुए सब दिल्ली वाले नेतवन के
भूखा पेट हमरे बच्चों का कौन भरेगा भाई रे
उनकी डाटर लिखी-पढ़ी थी,शहर भागकर चली गयी
पीले हाथ हमरी बिटिया के, कौन करेगा भाई रे
मलकीनिया के तेवर देखे,मॉल गयी है बनी-ठनी
इस दुखियारी के जीवन में वही नरेगा भाई रे
बाबू के घर गैस सिलेंडर,गाड़ी,फ्रीज और टेलीविजन
हवा, हमारी दुपहिया में कौन भरेगा भाई रे
कुंवर प्रीतम
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