मुझे गुस्सा नहीं आताहां सच,कभी नहीं आतालेकिन,
जब कभी मुठ्ठी भरशरारती तत्वों की वजह से
मुझे गद्दार देशद्रोहीजैसे शब्दों से पुकारा जाता है
हां तब भी मुझेगुस्सा नहीं,हंसी आती है
क्या मुझे भी अपनी वफादारी व वतन परस्ती को साबित करने के लि
भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद की तरह शहीद होना पड़ेगा
हमारी वफादारी या वतनपरस्तीकी इस से बड़ी मिसालऔर क्या हो सकती है
कि 60 वर्ष से बेशुमार फसादत में हजारों बेगुनाह वतन परस्तों ने अपनी प्राणों की आहुती दी
और लाखों वफादार लोगों का लहू बहने के बादतुम हमे गद्दार देश द्रोही कहोगे
तो तुम्हारी बातें सुनकर मुस्कुराता हूंहम हिन्दुस्तानी हैं
ये साबित करने के लिये क्या और चाहिये
बलिदान या रक्तपात का इम्तेहान
मसूद आतिश
बहुत सुन्दर सारगर्भित,
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं तथा बधाई