6.8.11

लड़की के जन्म पर ..



लड़की के जन्म पर 
उदास क्यों हो जाते हैं 
परिवारीजन ?
क्यों उड़ जाती है 
रौनक चेहरों की
और क्यों हो जाती है 
नए मेहमान के आने की ख़ुशी कम ?
शायद सबसे पहले मन 
में आता है ये 
हमसे जुदा होकर 
चली जाएगी पराए घर ,
फिर एकाएक घेर लेती 
है दहेज़ की फ़िक्र ;
याद आने लगती हैं 
बहन बुआ ,पड़ोस की 
पूनम-छवि के साथ घटी 
अमानवीय घटनाएँ !
ससुराल के नाम पर 
दिखने लगती है 
काले पानी की सजा ;
फिर शायद ह्रदय में यह 
भय भी आता है कि
हमारी बिटिया को भी 
सहने होंगे समाज के 
कठोर ताने -''सावधान 
तुम एक लड़की हो ''
किशोरी बनते ही तुम एक देह 
मात्र रह जाओगी ,
पास से गुजरता पुरुष 
तुम पर कस सकता है तंज 
''यू आर सेक्सी ''
इतने पर भी तुम गौर न करो तो 
एक तरफ़ा प्यार के नाम पर 
तुम्हे हासिल करना चाहेगा ,
और हासिल न कर सका तो 
पराजय की आग में स्वयं 
जलते हुए तुम पर तेजाब 
फेंकने से भी नहीं हिचकिचाएगा ;
इतने भय तुम्हारे जन्म के साथ 
ही जुड़ जाते हैं इसीलिए 
शायद लड़की के जन्म पर 
परिवारीजन 
उदास हो जाते हैं .
                                 शिखा कौशिक 

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