छद्म लोकतंत्र
फिर होगा तमाशा किल्ले के बुर्ज पर,
बहेगी कुछ धाराएँ आश्वासन की ,
कागजी विकास के सपने होंगे,
थोथी बातों के पुलिंदे होंगे,
शब्दों को मक्खन में लपेटा जाएगा ,
महंगाई को आंकड़ो से मारा जाएगा,
भ्रष्ट नेता भी सफेद लबादे में होगा,
ज्वलंत प्रश्न को अनुत्तरित रखा जाएगा,
माँ-बेटे को साष्टांग प्रणाम करेंगे,
माँ के लाडले का गुणगान करेंगे,
नौसिखिये की चपलता में खड़े रहेंगे,
मगर- राष्ट्रगान की धुन पर बैठे रहेंगे .
इंसान को इंसान से अलग करेंगे,
आरक्षण या अनुदान की बौछार करेंगे,
अफजल,कसाब की दरिंदगी भूलेंगे,
मौका मिला तो इनके कसीदे पढेंगे,
छद्म लोकतंत्र से परेशान लोग -
रटा-रटाया भाषण सुन चलती पकड़ेंगे ,
तब नन्हे बच्चों से नारे लगवाएंगे,
अगले बरस फिर यही भाषण दोहराएंगे .
yahee sachchaayee hai
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं तथा बधाई