पिछले कुछ समय से अलसी के बारे में पत्रिकाओं, अखबारों, इंन्टरनेट, टी.वी. आदि
पर बहुत कुछ प्रकाशित होता रहा है। बड़े शहरों में अलसी के व्यंजन जैसे बिस्कुट,
ब्रेड आदि बेचे जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा देता है। आयुर्वेद में अलसी को दैविक
भोजन माना गया है। मैंने कहीं पढ़ा कि सचिन के बल्ले को अलसी का तेल पिलाकर मजबूत
बनाया जाता है तभी वो चौके-छक्के लगाता है और मास्टर ब्लास्टर कहलाता है। आठवीं
शताब्दी में फ्रांस के सम्राट चार्ल मेगने अलसी के चमत्कारी गुणों से बहुत
प्रभावित थे और चाहते थे कि उनकी प्रजा रोजाना अलसी खाऐ और निरोगी व दीर्घायु रहे इसलिए
उन्होंने इसके लिए कड़े कानून बना दिए थे।
आइये, हम देखें कि इस चमत्कारी, आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक व दैविक भोजन अलसी में ऐसी क्या खास बात है। अलसी का बोटेनिकल
नाम लिनम यूज़ीटेटीसिमम् यानी अति उपयोगी बीज है। अलसी के पौधे में नीले फूल आते
हैं। अलसी का बीज तिल जैसा छोटा, भूरे या सुनहरे रंग का व
सतह चिकनी होती है। इसे अंग्रेजी में लिनसीड या फ्लेक्ससीड, गुजराती में अड़सी, बिहार
में तिसी, बंगाली में तिशी, मराठी में जवास, कन्नड़ में अगसी, तेलगू में अविसी
जिंजालू, मलयालम में चेरूचना विदु, तमिल में अली विराई और उड़िया में पेसी कहते
हैं। प्राचीनकाल से अलसी का प्रयोग भोजन, कपड़ा, वार्निश व रंगरोगन बनाने के लिये होता आया है।
हमारी दादी मां जब हमें फोड़ा-फुंसी हो जाती थी तो अलसी की पुलटिस बनाकर बांध देती
थी। अलसी में मुख्य पौष्टिक तत्व ओमेगा-3 फेटी एसिड एल्फा-लिनोलेनिक
एसिड, लिगनेन, प्रोटीन व फाइबर होते
हैं। अलसी गर्भावस्था से वृद्धावस्था तक फायदेमंद है। महात्मा गांधीजी ने
स्वास्थ्य पर भी शोध की व बहुत सी पुस्तकें भी लिखीं। उन्होंने अलसी पर भी शोध
किया, इसके चमत्कारी गुणों को पहचाना और अपनी एक पुस्तक में
लिखा है, “जहां अलसी का सेवन किया जायेगा, वह समाज स्वस्थ व समृद्ध रहेगा।”
प्राचीनकाल से पूजी जाती है
अलसी
नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की अलसीऔषधी के
रूप में भी पूजा होती है। स्कंद माता को पार्वती एवं उमा के नाम से भी जानाजाता
है। अलसी एक औषधि से जिससे वात,
पित्त, कफ
जैसी मौसमी रोग का इलाज होता है। इसऔषधि को नवरात्रि में माता स्कंदमाता को चढ़ाने
से मौसमी बीमारियां नहीं होती। साथही स्कंदमाता की आराधना के फल स्वरूप मन को
शांति मिलती है।
स्कंदमाता अर्थात्अलसी के संबंध में शास्त्रों में कहा गया है-
अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमाक्षुमा।
अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।
उष्णा दृष शुकवातन्धीकफ पित्त विनाशिनी।
अर्थात् वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीडि़त व्यक्ति कोस्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहणकरना चाहिए।
पोषक तत्वों का पिटारा है अलसी
अलसी पोषक तत्वों का खज़ाना
|
|||
केलोरी
|
534 प्रति 100 ग्राम
|
||
प्रोटीन
|
18.29 प्रतिशत
|
||
कार्बोहाइड्रेट
|
28.88 प्रतिशत
|
||
वसा
|
42.16प्रतिशत
|
ओमेगा-3 एल्फा-लिनोलेनिक एसिड
|
18.1 प्रतिशत
|
ओमेगा-6 लिनोनिक एसिड
|
7.7 प्रतिशत
|
||
संतृप्त वसा
|
4.3प्रतिशत
|
||
फाइबर
|
27.3 प्रतिशत
|
||
विटामिन
|
थायमिन, विटामिन बी-5, बी-6 व बी-12, फोलेट,
नायसिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी-17 और विटामिन
सी
|
||
खनिज
|
कैल्सियम, तॉबा, लौहा, मेगनीशियम, मेंगनीज़, फॉसफोरस,
पोटेशियम, सेलेनियम और जिंक
|
||
एन्टीऑक्सीडेन्ट
|
लिगनेन, लाइकोपीन, ल्यूटिन और जियाज़ेन्थिन
|
कुदरती सौंदर्य का खजाना है अलसी
यदि आप त्वचा, नाखुन और बालों की सभी समस्याओं का एक शब्द में समाधान
चाहते हैं तो उत्तर है “ओमेगा-3 या ॐ-3 वसा अम्ल ”। मानव त्वचा को
सबसे ज्यादा नुकसान मुक्त कणों या फ्री रेडिकलस् से होता है। हवा में मौजूद ऑक्सीडेंट्स के कण त्वचा की कोलेजन कोशिकाओं से इलेक्ट्रोन चुरा लेते
हैं। परिणाम स्वरूप त्वचा में महीन रेखाएं
बन जाती हैं जो धीरे-धीरे झुर्रियों व झाइयों का रूप ले लेती है, त्वचा में रूखापन
आ जाता है और त्वचा वृद्ध सी लगने लगती है। अलसी के शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट
ओमेगा-3 व लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं और त्वचा को आकर्षक, बनाते हैं। स्वस्थ त्वचा
जड़ों को भरपूर पोषण दे कर बालों को स्वस्थ, चमकदार व मजबूत बनाती हैं। लारा
दत्ता अपने रूप को निखारने के लिए अलसी खाती है। ये दो पंक्तिया उनके लिए हैं......
चन्दन सा बदन चंचल चितवन धीरे से तेरा ये
मुस्काना
गोरा चेहरा
रेशम सी लट का राज तेरा अलसी खाना
अलसी एक उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से
निखार लाता है। अलसी त्वचा की बीमारियों जैसे मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, सूखी
त्वचा, खुजली, छाल रोग (सोरायसिस), ल्यूपस, बालों का सूखा, पतला या दो मुंहा होना,
बाल झड़ना आदि में काफी असरकारक है। अलसी सेवन करने से बालों में न कभी रूसी
होती है और न ही वे झड़ते हैं। अलसी नाखूनों को भी स्वस्थ व सुन्दर आकार प्रदान
करती है। अलसी युक्त भोजन खाने व इसके तेल की मालिश से त्वचा के दाग, धब्बे,
झाइयां व झुर्रियां दूर होती हैं। अलसी आपको युवा बनाये रखती है। आप अपनी उम्र से
काफी छोटे दिखते हो।
अलसी आपकी उम्र बढ़ती हैं।
माइन्ड का सिम
कार्ड है अलसी
प्रतिस्पर्धा के युग में आज हर युवा अपने मस्तिष्क की क्षमताओं में अभूतपूर्व वृद्धि करना चाहता है, सबसे आगे निकल
जाना चाहता है, सफलता के सारे रहस्य जान लेना चाहता है। तो आइये आज हम सारे
रहस्यों से चिलमन उठा देते
हैं, सारे भेद खोल देते हैं और आपकी सफलता के लिए नई इबारत लिख देते हैं।
यदि आप ओम-3 वसा अम्ल से
भरपूर अलसी का नियमित सेवन करेंगे तो आपकी स्मरणशक्ति, विद्वता, पठन-क्षमता,
चतुराई, दूरदर्शिता, कल्पनाशीलता, सृजनात्मकता, एकाग्रता, परिपक्वता, निर्णय
क्षमता, व्यवहार कुशलता, सहनशीलता,
सकारात्मक प्रवृत्ति, मानसिक शांति, बुद्धिमत्ता और शैक्षणिक क्षमता में
अभूतपूर्व, असिमित, अविश्वसनीय, अचूक तथा अपार
वृद्धि होना निश्चित है। अलसी सेवन से अच्छे चरित्र का निर्माण होता है,
बुरे विचार नहीं आते व आप बुरी आदतों या व्यसनों से बचते हैं। अलसी के सेवन से मन
और शरीर में एक दैविक शक्ति और ऊर्जा का प्रवाह होता है। योग, प्राणायाम,
ईश्वर की भक्ति और आध्यात्मिक कार्यों में
मन लगता है।
माइन्ड के सरकिट का SIM CARD है अलसी।
यहाँ सिम का मतलब सेरीन या शांति, इमेजिनेशन या कल्पनाशीलता और मेमोरी या
स्मरणशक्ति तथा कार्ड का मतलब
कन्सन्ट्रेशन या एकाग्रता, क्रियेटिविटी या सृजनशीलता, अलर्टनेट या सतर्कता, रीडिंग या राईटिंग थिंकिंग एबिलिटी या शैक्षणिक
क्षमता और डिवाइन या दिव्य है। अलसी खाने
वाले विद्यार्थी परीक्षाओं में अच्छे नंबर प्राप्त करते हैं और उनकी सफलता के सारे
द्वार खुल जाते हैं। अलसी आपराधिक प्रवृत्ति से ध्यान हटाकर अच्छे कार्यों में
लगाती है। इसलिये अलसी आतंकवाद और नक्सलवाद का भी समाधान है।
सुपरस्टार अलसी एक फीलगुड फूड ( Feel-Good Food) है, क्योंकि
अलसी से मन प्रसन्न रहता है, झुंझलाहट या क्रोध नहीं
आता है, पॉजिटिव एटिट्यूड बना रहता है। यह
आपके तन, मन और आत्मा को शांत और सौम्य कर देती है। अलसी के सेवन से मनुष्य लालच,
ईर्ष्या, द्वेश और अहंकार छोड़ देता है। इच्छाशक्ति, धैर्य, विवेकशीलता बढ़ने लगती
है, पूर्वाभास जैसी शक्तियाँ विकसित होने लगती हैं। इसीलिए अलसी देवताओं का प्रिय
भोजन थी। यह एक प्राकृतिक वातानुकूलित भोजन है।
बॉडी बिल्डिंग के लिए नंबर वन सप्लिमेंट है अलसी
बिग बॉस-3 में मर्डर के अभिनेता अश्मित पटेल को माँ की भेजी अलसी खाकर बॉडी बनाते तो आपने देखा ही होगा। |
उपरोक्त बातों का सीधा अर्थ है
शरीर की वसा कम होना,
स्नायु
कोशिकाओं में थकान न होना,
ऊर्जा
का सर्वोत्तम स्रोत,
आक्सीजन
और अन्य पोषक तत्वों की उपयोगिता में वृद्धि,
स्वास्थ्य
में वृद्धि,
यानी छरहरी बलिष्ठ मांसल देह....
सेवन का तरीकाः-
हमें
प्रतिदिन 30-60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। रोज 30-60
ग्राम अलसी को मिक्सी के चटनी जार में सूखा पीसकर आटे में मिलाकर
रोटी, परांठा आदि बनाकर खायें। इसकी ब्रेड, केक, कुकीज़, आइसक्रीम,
लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं। अंकुरित अलसी का
स्वाद तो कमाल का होता है। इसे आप सब्ज़ी, दही, दाल, सलाद आदि में भी डाल कर ले सकते हैं। इसे पीसकर
नहीं रखना चाहिये। इसे रोजाना पीसें। ये पीसकर रखने से खराब हो जाती है। अलसी के
नियमित सेवन से व्यक्ति के जीवन में चमत्कारी कायाकल्प हो जाता है।
नीलमधु
अलसी चेतना द्वारा रचित नीलपुष्पी (अलसी) और मधु से बना स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट व्यंजन नीलमधु विधि इस प्रकार है। पाँच कटोरियाँ लीजिये और उनमें क्रमशः पिसी अलसी, शहद (प्राकृतिक अच्छा रहेगा), मिल्क पॉवडर, कसा हुआ नारियल और बारीक कटे हुए मेवे (बादाम, किशमिश आदि) भर लें। अब सब चीजों को एक थाली में साफ हाथों से अच्छी तरह मिला लीजिये और साफ डिब्बे में भर कर फ्रीज में रख दीजिये। आपका दिव्य नीलमधु तैयार है, इसे रोज सुबह-शाम खाइये। इसे गर्म दूध में मिला कर या मिल्कशेक बना कर भी लिया जा सकता है। यह लंबे समय तक खराब नहीं होता है। यह बच्चों, छात्रों और अकेले रहने वालों के लिए आदर्श व्यंजन है। यह बहुत स्वादिष्ट मिठाई भी है।
उपयोगी व रोचक जानकारी देने के लिए साधुवाद
ReplyDeleteअलसी पर आपकी जानकारी काफी उपयोगी है । आयुर्वेद में अलसी का महत्व उल्लेखित है । धन्यवाद ।
ReplyDeletethank you
ReplyDeletekash yeh jankari har ek ko ho jave ki alsi aaj ka amrit h, ek ram ban aushdhi h samast rogon ki, to yah samast jagat rog mukt ho jave.
ReplyDeleteaap dhanyawad ke patar h.
kash yeh jankari har ek ko ho jave ki alsi aaj ka amrit h, ek ram ban aushdhi h samast rogon ki, to yah samast jagat rog mukt ho jave.
ReplyDeleteaap dhanyawad ke patar h.