धनंजय कहिन: तिरंगे की बहार:.
इस उत्सव ने तिरंगा उठाने का गर्व हर उस आदमी को महसूस कराया जो इसमें शामिल हुआ.अब जब की झंडा भी वापस रखा जा चुका है और रामलीला मैदान भी खाली हो चुका है तब फिर वो युवा ,जो भले ही कहा जारहा है की खास वर्ग से ही था,वापस अपनी जिंदगी में लौट चुका है.अब उस सैलाब,हालाँकि ये भी अभिजात्य मीडिया द्वारा गढ़ा गया कहा जारहा है,को अपने साथ लेने के लिए फिर मारामारी होगी.क्योंकि केवल टीवी कैमरों में फोकस पाने के लिए ही ये सड़क नहीं पर उतरे थे, इनको वो झंडा चाहिए जिसके नीचे आने में गर्व महसूस हो और इस काम के के लिए इन्हें घूस न दी जाय.बस उन्हें प्रेरित किया जाय और उन्मादी न बनाया जाय.
बहुत-बहुत बधाई ||
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति ||