अंतस में उफनते
अरमानों का टकराव
हर रोज होता है
हालात से
और कुरुक्षेत्र बना
हृदयस्थल फिर
ढूंढने लगता है
उसी कृष्ण को
जिसने दिया था संदेश
कर्मण्येवाधिकारस्ते का।
गीता में कहे बोल
गूंजने लगते हैं
प्रेरणा बनकर
देते हैं पाथेय
और समा जाते हैं
शनैः शनैः
हृदय में
फिर दस्तक देते हैं
आत्मा के आंगन में
अंततोगत्वा
उफनते अरमानों का टकराव
पा जाता है समाधान
और निकल पड़ता है
कर्म की पगडंडी पर।
कुंवर प्रीतम
अरमानों का टकराव
हर रोज होता है
हालात से
और कुरुक्षेत्र बना
हृदयस्थल फिर
ढूंढने लगता है
उसी कृष्ण को
जिसने दिया था संदेश
कर्मण्येवाधिकारस्ते का।
गीता में कहे बोल
गूंजने लगते हैं
प्रेरणा बनकर
देते हैं पाथेय
और समा जाते हैं
शनैः शनैः
हृदय में
फिर दस्तक देते हैं
आत्मा के आंगन में
अंततोगत्वा
उफनते अरमानों का टकराव
पा जाता है समाधान
और निकल पड़ता है
कर्म की पगडंडी पर।
कुंवर प्रीतम
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