मौसम है बेईमान, ख़ुदा ख़ैर करे
साक़ी भी मेहरबान, ख़ुदा ख़ैर करे।
जितनी भी तितलियाँ हैं वो छाते में छुपी हैं
बारिश से परेशान, ख़ुदा ख़ैर करे।
मेकप धुला तो सामने जामुन का रंग था
सब हो गए हैरान, ख़ुदा ख़ैर करे।
बारिश ने उनके चेहरे से घूँघट उठा दिया
ख़तरा है पहलवान, ख़ुदा ख़ैर करे।
टूटी हुई खटिया है और बिस्तरा उदास
निकले नहीं अरमान, ख़ुदा ख़ैर करे।
जम्हूरियत का यारो करिश्मा तो देखिये
पिद्दी है पहलवान, ख़ुदा ख़ैर करे।
सीमेंट कौन खा गया, बस रेत-रेत थी
सब ढह गए मकान, ख़ुदा ख़ैर करे।
मृगेन्द्र मक़बूल
bahut khoob ,sateek aur arthpoorn
ReplyDeletebahut khoob ,sateek aur arthpoorn
ReplyDeletewah! सीमेंट कौन खा गया, बस रेत-रेत थी
ReplyDeleteसब ढह गए मकान, ख़ुदा ख़ैर करे।
bahut achchhi panktiya
bahut khoob .
ReplyDeleteARE YOU READY FOR BLOG PAHELI -2
जम्हूरियत का यारो करिश्मा तो देखिये
ReplyDeleteपिद्दी है पहलवान, ख़ुदा ख़ैर करे।
आज तो यही सत्य है सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
sabhi mitron ko gazal pasand karne kaa shukriyaa.is piddi pahalvaan ne magroor jamhooriyat ko ghutnon ke bal laa khadaa kiyaa.
ReplyDeleteannaa hazaare zindaabaad.
maqbool