10.8.11

सागर सी बेचैनी ले अब,गांव भला क्या जाऊं


किस पर गीत बनाऊं साथी, किससे प्रीत निभाऊं
बिछुड़ गए सब संगी साथी,किसको गीत सुनाऊं
धक्कड़-धूल,धूएं में पसरा,अम्बर तक फैला जीवन
सागर सी बेचैनी ले अब,गांव भला क्या जाऊं

कुंवर प्रीतम

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति....

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