अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
10.8.11
सागर सी बेचैनी ले अब,गांव भला क्या जाऊं
किस पर गीत बनाऊं साथी, किससे प्रीत निभाऊं
बिछुड़ गए सब संगी साथी,किसको गीत सुनाऊं
धक्कड़-धूल,धूएं में पसरा,अम्बर तक फैला जीवन
सागर सी बेचैनी ले अब,गांव भला क्या जाऊं
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति....
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