1.8.11

बापू, लो अवतार आज फिर वही पुराने वेश में


  • मत मांग भीख रोटी खातिर, उठ आज अभी बागी बन जा
  • दिल्ली से क्या आस लगानी,उठ आज अभी बागी बन जा
  • लिए कटोरा भीख मांगते, साठ साल हैं बीत गए
  • भारत हार गया अपना पर सारे दागी जीत गए
  • घोटालों का कुम्भ यहां बारहमासी त्योहार है
  • कुर्सी वाले मस्ती में और सारा भारत लाचार है
  • भूखे नंगे बच्चों को क्यूं, मिली न रोटी आज तलक
  • बागी बनकर आज सिखाएं, नेताओं को कड़ा सबक
  • स्कूली बच्चों का मिड डे मिल भी नेता गटक रहे
  • आजादी वाले बूढ़े हैं पेंशन खातिर भटक रहे
  • बची कहां है मां-बहनों की इज्जत अपने देश में
  • बापू, लो अवतार आज फिर वही पुराने वेश में
  • कुंवर प्रीतम

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