बापू, लो अवतार आज फिर वही पुराने वेश में
- मत मांग भीख रोटी खातिर, उठ आज अभी बागी बन जा
- दिल्ली से क्या आस लगानी,उठ आज अभी बागी बन जा
- लिए कटोरा भीख मांगते, साठ साल हैं बीत गए
- भारत हार गया अपना पर सारे दागी जीत गए
- घोटालों का कुम्भ यहां बारहमासी त्योहार है
- कुर्सी वाले मस्ती में और सारा भारत लाचार है
- भूखे नंगे बच्चों को क्यूं, मिली न रोटी आज तलक
- बागी बनकर आज सिखाएं, नेताओं को कड़ा सबक
- स्कूली बच्चों का मिड डे मिल भी नेता गटक रहे
- आजादी वाले बूढ़े हैं पेंशन खातिर भटक रहे
- बची कहां है मां-बहनों की इज्जत अपने देश में
- बापू, लो अवतार आज फिर वही पुराने वेश में
- कुंवर प्रीतम
bahut kub
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