2.8.11

Political Dairy of Seoni Dist- Of M.P.

मंत्री बिसेन जब आदिवासी पटवारी से कानं पकड़ कर उठक बैठक लगवा रहे थे तब मंच पर मौजूद हरवंश चुप क्यों थे?

शिवराज के राज में सात साल बाद शिव की नगरी को यह सौगात मिली हैं। नरेश की इस उपलब्धि को लेकर भाजपा मे ही मिली जुली प्रतिक्रिया देखी जा रही हैं। जहां एक तरफ नरेशसमर्थकों में प्रसन्नता वक्त करने और बधायी देने का दौर चालू हैं तो वहीं दूसरी ओर विधायक नीता पटेरिया के समर्थक दबी जुबान में अपनी नाराजगी व्यक्त करते देखे जा रहे हैं। इन दिनों भाजपा और इंका की राजनीति में उबाल आ गया हैं। प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन के द्वारा केवलारी विस क्षेत्र के छींदा गांव में एक आदिवासी पटवारी के कान पकड़कर उठक बैठक लगवाने के मामले ने तूल पकड़ लिया हैं। मंत्री बिसेन जिस समय आदिवासी पटवारी युवक से कान पकड़ कर उठक बैठक लगवा रहे थे तब मंच पर मौजूद विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह,मंत्री नाना भाऊ,विधायक कमल मर्सकोले और पूर्व मंत्री डॉ. बिसेन मूक दर्शक बन कर क्यों बैठे रहे? यह सवाल राजनैतिक गलियारों में चर्चित हैं।गौगपा ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि भाजपा आदिवासियों को ना केवल नकार रही हैं वरन उनका अपमान भी कर रही हैं। शासन के आदेश के बाद भी पार्वती से वसूली ना कर सकने वालेें भाजपा के नेताओं को भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना और नौटंकी करना क्या शोभा देता है?

और आखिर मिल ही गयी नरेश को लालबत्ती-अंततः सिवनी के पूर्व भाजपा विधायक नरेश दिवाकर को लाल बत्ती मिल ही गयी। शिवराज के राज में सात साल बाद शिव की नगरी को यह सौगात मिली हैं। नरेश की इस उपलब्धि को लेकर भाजपा मे ही मिली जुली प्रतिक्रिया देखी जा रही हैं। जहां एक तरफ नरेश समर्थकों में प्रसन्नता वक्त करने और बधायी देने का दौर चालू हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा विधायक नीता पटेरिया के समर्थक दबी जुबान में अपनी नाराजगी व्यक्त करते देखे जा रहे हैं। उनका यह तर्क है कि अनुशासित मानी जाने वाली भाजपा में नरेश को लाल बत्ती से नवाजे जाने का अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। उनका यह कहना है कि जब नरेश की टिकिट कटी थी तब उन्होंने ने ना केवल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया था वरन बरघाट में उनके समर्थकों द्वारा भाजपा के पितृ पुरुष दीन दयाल उपध्याय और श्यामा प्रासद मुर्खजी के फोटो फाड़े थे और तो और पार्टी के झंड़े भी फाड़े थे जिसकी आज भी बरघाट थाने में रिपोर्ट दर्ज हैं। नीता समर्थकों का यह भी तर्क हैं कि आज नरेश की जिन उपलब्धियों के कारण उन्हें लालबत्ती दी जाने की बात कही जा रही हैं यदि ये सही हैं तो फिर उनकी टिकिट दो बार विधायक रहते हुये भी क्यों काटी गयी थी?नीता समर्थकों की यह नाराजगी इसलिये भी हैं कि अब नरेश को लालबत्ती मिलने से नीता के मंत्री बनने की संभावनायें समाप्त हो गयीं हैं। बहरहाल भाजपा के नेताओं की अपनी अपनी जो भी बातें हों लेकिन महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर नरेश की नियुक्ति से कम से कम जिले के विकास की संभावनायें तो प्रबल हुयीं हैं। अब यह बात नरेश की कार्यशैली और उनकी प्रशासनिक पकड़ पर निर्भर करेगी कि वे जनापेक्षाओं की कसौटी पर कितने खरे उतरते हैं।

गौरी शंकर आये कठघरे में -इन दिनों भाजपा और इंका की राजनीति में उबाल आ गया हैं। प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन के द्वारा केवलारी विस क्षेत्र के छींदा गांव में एक आदिवासी पटवारी के कान पकड़कर उठक बैठक लगवाने के मामले ने तूल पकड़ लिया हैं। इस घटना के दौरान मंच पर प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री नाना भाऊ, विस उपाध्यक्ष एवं क्षेत्रीय इंका विधायक हरवंश सिंह, विधायक कमल मर्सकोले और पूर्व मंत्री डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन भी मौजूद थे। इस घटना के बाद केवलारी के एस.डी.एम. से गौरी भाऊ की तू तूड़ाक भी चर्चा में रहीं। मामला यहीं नहीं रुका विस उपध्यक्ष हरवंश सिंह ने मंच संचालन करने वाले पिछड़े वर्ग के शिक्षक संतोष राय को भी उसके घर जाकर धमकाने और उसे देख लेने की धमकी का मामला भी अखबारों की सुर्खी बना। अखबारों में दी गयी अपनी सफायी में हरवंश सिंह ने इस घटना का खंड़न नहीं किया हैं। पटवारी संध ने एक दिवसीय धरना देकर आदिवासी पटवारी के साथ किये गये मंत्री के र्दुव्यवहार को लेकर रिपोर्ट दर्ज कर एट्रोसिटीज एक्ट के तहत कार्यवाही करने की मांग की हैं। आपदिवासी समुदाय के खिलाफ छिंदवाड़ा की जिला योजना समिति की बैठक में मंत्री गौरीशंकर द्वारा की गयी टिप्पणी का बैठक में मौजूद कांग्रेस के सदस्यों ने ना केवल विरोध किया वरन उनके खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करायी। इसे प्रदेश कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया तथा पूरे प्रदेश में धरना देकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप कर मंत्री गौरीशंकर बिसेन को बर्खास्त करने की मांग भी कर डाली हैं।कुल मिला कर यह समूचा कार्यक्रम जनप्रतिनिधियों द्वारा शासकीय कर्मचारियों को प्रताड़ित किये जाने के लिये याद किया जायेगा।

मौके पर चुप क्यों बैठे रहे विस उपाध्यक्ष हरवंश सिह?-मंत्री बिसेन जिस समय आदिवासी पटवारी युवक से कान पकड़ कर उठक बैठक लगवा रहे थे तब मंच पर मौजूद विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह,मंत्री नाना भाऊ,विधायक कमल मर्सकोले और पूर्व मंत्री डॉ. बिसेन मूक दर्शक बन कर क्यों बैठे रहे? यह सवाल राजनैतिक गलियारों में चर्चित हैं।हालांकि छिंदवाड़ा में मंत्री बिसेन की आदिवासी समाज के बारे में की गयी अशोभनीय टिप्पणी कि,“आदिवासी पढ़ लिख कर अधिकारी तो बन जातें हैं लेकिन उनमें समझ नहीं होती“ को प्रदेश कांग्रेस ने मुद्दा बना कर पूरे प्रदेश में आंदोलन छेड़ दिया हैं। इससे भाजपा तो कठघरे में आ गयी हैं लेकिन कांग्रेस के सामने भी विषम स्थिति बन गयी हैं। कांग्रेस के आदिवासी प्रेम पर यह सवाल उठाया जा रहा हैं कि मंच पर मौजूद जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह उस वक्त मौन क्यों रहे? छिंदवाड़ा के कांग्रेसियों के समान उन्होंने मंत्री का मौके पर ही विरोध क्यों नहीं किया? कुछ राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना हैं कि प्रदेश भाजपा द्वारा गौरीशंकर बिसेन को केवलारी क्षेत्र का प्रभारी बनाये जाने एवं पूर्व प्रत्याशी डॉ.ढ़ालसिंह बिसेन के साथ उनके लगातार क्षेत्र के दौरों से हरवंश सिंह असहज हो गये थे।हमेशा सीधे पंगा लेने से कतराने वाले हरवंश उस समय तो मंच पर मौन रहे लेकिन जैसे ही गौरी शंकर ने केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ्र के क्षेत्र में इसी वारदात को दोहराया और बैठक में मौजूद इंका सदस्यों द्वारा विरोध किया गया तो इसे वे प्रदेश व्यापी मुद्दा बनवाने में सफल हो गये और गौरी भाऊ समूचे प्रदेश में आरोपों से धिरे नजर आ रहें हैं। इससे ऐसा प्रतीत हो ाहर हैं कि प्रदेश भाजपा अब गौरी भाऊ को केवलारी के प्रभारी पद से हटा भी देगी और उस पर हरवंश सिंह से सांठगांठ का कोई आरोप भी नहीं लगेेगा।

गौगपा ने भी खोला गौरी के खिफ मोर्चा-मंत्री बिसेन की इस हरकत को लेकर गौगपा ने भी अपना मोर्चा खोल लिया हैं। गौगपा ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि भाजपा

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