अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
23.8.11
reenakari: आज भी क्यों
reenakari.blogspot.com: आज भी क्यों: आज भी क्यों इतनी तन्हाई लग रही है साथ है कोई फिर भी साथ ढूंड रही हूँ मुझे पाना चाहता है कोई ... और मैं फिर भी खोना चाहती हूँ .. मिलकर ...
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