क्या संसद में भी हर सांसद को वो ही बोलना चाहिये जो अन्ना जी चाहते हैं? फिर बहस का तो सवाल ही नहीं उठता। अन्ना सीधे सीधे यह क्यों नहीं कह देते कि सभी सांसद चुपचाप मेरे लोकपाल बिल के पक्ष में हाथ उठाकर वोट डालें और पास करा दें नहीं तो अपना घर घिरवायें। राहुल गांधी कुछ बोल नहीं रहें थे तो भी आपत्ति थी और जब संसद में अपने विचार रखे तो कोप का भाजन बनना पड़ा। क्या अन्ना जी यही सच्चा लोकतंत्र हैं?
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