शंकर जालान
कोलकाता। उत्तर कोलकाता के काशी बोस लेन की दुर्गा पूजा पुरस्कारों के लिए जानी जाती है। वैसे तो पूजा बीते 71 सालों से हो रही है, लेकिन बीते 10-15 सालों के दौरान बेहतर पंडाल, कलात्मक प्रतिमा और इंद्रधनुषी बिजली सज्जा के लिए कमिटी को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। कमिटी को अब तक एशियन पेंट, प्रतिदिन, एमपी बिड़ला, श्री लेदर, स्टेटमैन, जामिनी साड़ी समेत कई प्रतिष्ठित सम्मान हासिल हो चुके हैं। यहां की पूजा को लोग पुरस्कार वाली पूजा के नाम से जानते हैं। काशी बोस लेन स्थित मैदान में होने वाली दुर्गा पूजा में इस बार दर्शनार्थियों को पहाड़ों के बीच में देवी दुर्गा के दर्शन होंगे।
आयोजकों का मानना है कि मध्य व उत्तर कोलकाता में आयोजित होने वाली करीब दो सौ पूजा में उनके पंडाल, प्रतिमा और बिजली सज्जा की एक अलग पहचान रहती है।
काशी बोस लेन दुर्गा पूजा कमिटी के बैनर तले आयोजित होने वाले दुर्गोेत्सव का उद्घाटन महापंचमी (30 सितंबर) को होगा और रीति के मुताबिक विजया दशमी (छह अक्तूबर) को मां दुर्गा समेत भगवान गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की मूर्तियों को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाएगा। पूजा पंडाल का उद्घाटन कौन करेगा? इस प्रश्न का जवाव देते हुए कमिटी के प्रमुख सदस्य गोराचंद चंद्रा ने बताया कि ऋषिकेश के एक संत उद्घाटन करेंगे।
पंडाल कैसा होगा? किस चीज से बना होगा? थीम क्या है और इसे बनाने का जिम्मा किसे दिया गया है? इन सवालों का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि पंडाल को पहाडों जैसा बनाया जा रहा है। कुल ग्यारह पहाड़ों के बीच लोग को देवी दुर्गा के दर्शन होंगे।
उन्होंने बताया कि गौरांग कोइला की परिकल्पना को साकार करने में सैकड़ों कारीगर बीते कई सप्ताह से लगे हैं। चंद्रा के मुताबिक बांस, तिरपाल, कपड़ा, झुड़ी, चट आदि से बने 45 फीट ऊंचे, 40 फीट चौड़े और 50 फीट लंबा पंडाल देखने में बिल्कुल पहाड़ जैसा लगेगा। प्रतिमा के बारे में उन्होंने बताया कि बीते कुछ सालों से नदिया जिले के शंकर पाल उनके पंडाल के लिए प्रतिमा बनाते आ रहे थे, लेकिन इस बार यह भी गौरांग कोइला को दिया गया है।
बिजली सज्जा के बारे में उन्होंने बताया कि हुगली जिला स्थित चंदननगर के दिलीप इलेक्ट्रिक के कारीगर आलोक सज्जा का काम कर रहे हैं। बजट के बारे में उन्होंने बताया कि कुल बजट 15 लाख रुपए का है। यह राशि कहां से आती है, इसका खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि चंदा, स्मारिका प्रकाशन के अलावा कई बड़ी कंपनियां प्रायोजित करती है।
उन्होंने बताया कि बीते साल यानी 2010 में राजस्थानी मंदिरनुमा भव्य पंडाल बनाया गया था। नारियल की जटाओं के पंडाल के भीतरी हिस्से में कई दर्शनीय आकृति लगाई गई थी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा था।
विराजेगी Maen bindi nahin lagaaee be. it should be विराजेंगी. ..
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