तू भी चोर में भी चोर ,जाने भी दो यारो !!
दौ पडोसी चोर आपस में भीड़ पड़े .बात भी कोई खास नहीं थी ,बस पहले चोर ने दुसरे चोर को सरे आम बीच
बाजार में चोर कह दिया था .वैसे चोर को चोर कहना मेरे लिहाज से बुरा है क्योंकि हमारी संस्कृति में अंधे
को अँधा कहने पर अंधे को ठेस ना पहुंचे इसलिए हम सूरदास कह देते हैं ,लंगड़े को लंगडा कहना कोई
बढ़िया बात नहीं है .हम चोर को चोर नहीं कह कर कोई अच्छा शब्द प्रयोग कर सकते हैं .वैसे भी कोई गुनाह
को अँधा कहने पर अंधे को ठेस ना पहुंचे इसलिए हम सूरदास कह देते हैं ,लंगड़े को लंगडा कहना कोई
बढ़िया बात नहीं है .हम चोर को चोर नहीं कह कर कोई अच्छा शब्द प्रयोग कर सकते हैं .वैसे भी कोई गुनाह
करते पकड़ा ना जाए तब तक उसे संवेधानिक रूप से चोर या गुनाहगार नहीं कह सकते हैं और तो और
किसी चोर का सहयोगी चोर यदि पकड़ा भी गया तो आप पकडे गए को चोर कहने का दुसाहस कर
सकते हैं परन्तु जो अभी तक नहीं पकड़ा गया उसे भी चोर कह देना जायज हो सकता है क्या ?
किसी चोर का सहयोगी चोर यदि पकड़ा भी गया तो आप पकडे गए को चोर कहने का दुसाहस कर
सकते हैं परन्तु जो अभी तक नहीं पकड़ा गया उसे भी चोर कह देना जायज हो सकता है क्या ?
इसी बात को लेकर दोनों चोर भिड पड़े थे.पहले ने कहा टेलीफोन का तार मेने नहीं चुराया था वह तो मेरे
कबीले का बाजीगर था ,लेकिन तुमने मुझ पर आरोप लगा कर ठीक नहीं किया ,मैं आम जनता के
सामने जाऊँगा और सच बताऊँगा. मेने जो पूरा टेलीफोन चुराया था उस योजना में तुम भी मेरे साथ थे .
मेने उस टेलीफोन का ढांचा कबाड़ी को बेचा और तुमने अन्दर के उपकरण .
कबीले का बाजीगर था ,लेकिन तुमने मुझ पर आरोप लगा कर ठीक नहीं किया ,मैं आम जनता के
सामने जाऊँगा और सच बताऊँगा. मेने जो पूरा टेलीफोन चुराया था उस योजना में तुम भी मेरे साथ थे .
मेने उस टेलीफोन का ढांचा कबाड़ी को बेचा और तुमने अन्दर के उपकरण .
दोनों को जोर जोर से आक्षेप लगाते देख काफी भीड़ जमा हो गयी थी .दोनों चोर अपना -अपना पक्ष रख
रही थी भीड़ में से नहीं पकडे गए शातिर न्याय करने बैठ गये.बड़ी उलझन थी सा'ब! क्योंकि शातिर महोदय
को किसी एक को सही ठहराना था .एक को सही और दुसरे चोर को चोर कह देने से एक बार तो बात बन
जाती मगर दुसरे चोर से पंगा लेना पड़ जाता .बहुत माथापच्ची के बाद हल निकाला गया .
रही थी भीड़ में से नहीं पकडे गए शातिर न्याय करने बैठ गये.बड़ी उलझन थी सा'ब! क्योंकि शातिर महोदय
को किसी एक को सही ठहराना था .एक को सही और दुसरे चोर को चोर कह देने से एक बार तो बात बन
जाती मगर दुसरे चोर से पंगा लेना पड़ जाता .बहुत माथापच्ची के बाद हल निकाला गया .
वे बोले ,आप दोनों का दोष मुझे दिखाई नहीं देता है .आप अपने काम का ठीक से निर्वाह नहीं कर सके
इसलिए लड़ पड़े हो .भविष्य में काम इतनी सफाई से करो की माल भी झपट लो और पकडे भी मत जाओ .
खेर ...अभी तुम लोगो के लिए यही फैसला है की तुम भी चोर और ये भी चोर इसलिए एक दुसरे को
अस्थिर मत करो ,जाने भी दो यारो ,बात आई गयी कर दो .
इसलिए लड़ पड़े हो .भविष्य में काम इतनी सफाई से करो की माल भी झपट लो और पकडे भी मत जाओ .
खेर ...अभी तुम लोगो के लिए यही फैसला है की तुम भी चोर और ये भी चोर इसलिए एक दुसरे को
अस्थिर मत करो ,जाने भी दो यारो ,बात आई गयी कर दो .
दोनों चोरो को यह फैसला भा गया और गिला शिकवा भूल कर गले मिल गये .भीड़ में से कुछ उनकी
एकता पर नारे लगाने लगे कुछ अपना अपना करम पीट कर बिखर गये. कबीले की शांति और सौहार्द के
लिए -जाने भी दो यारो !!
एकता पर नारे लगाने लगे कुछ अपना अपना करम पीट कर बिखर गये. कबीले की शांति और सौहार्द के
लिए -जाने भी दो यारो !!
kamaal ka vyang......samyik bhi.
ReplyDeletechor chor mausere bhai
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