5.9.11

चलो झूठा हीं सही कोई फ़साना तो मिला

चलो झूठा हीं सही कोई फ़साना तो मिला
दूर हमसे जाने का अच्छा बहाना तो मिला

राहत चलो हमे इतनी तो दी जिन्दगी ने
हमे न सही तुम्हे कोई ठिकाना तो मिला

हम कदम कोई गर अब रहा नहीं तो क्या
बीते कल की यादों का नजराना तो मिला

कमसकम खाली हाथ तो न रही जिन्दगी
 ख़ुशी न मिले गम का खज़ाना तो मिला

ग़मों को ढाल के शब्दों में गुनगुनाते हैं 
चलो हमे अंदाज़ वो शायराना तो मिला  

4 comments:

  1. राहत चलो हमे इतनी तो दी जिन्दगी ने
    हमे न सही तुम्हे कोई ठिकाना तो मिला

    bhut sundar
    http://vikasgarg23.blogspot.com

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  2. bahut sunder............

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  3. बहुत खूब।
    अंदाज अच्‍छा है........

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  4. हमे न सही तुम्हे कोई ठिकाना तो मिला।

    बहुत खूब। क्या बात है..!!

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