27.9.11

मौसम फिल्म : मेरी नजर मैं mausam film review:in my angle


आज तक आपने ना जाने कितने फिल्म रिव्यू पढ़े होंगे जिनमे लिखने वाले ने फिल्म को अच्छी या बुरी सन्देश देती ना देती फिल्म के रूप में देखा होगा ,यहाँ तक की आप में से कई लोगो ने अब तक इस फिल्म को देख लिया होगा या कम इसका रिव्यू भी पढ़ लिया होगा .पर मुझे विश्वास है की इस लेख को पढने के बाद आपको बहुत कुछ नए अहसास होंगे.

सीन १ : आज से तकरीबन ५,६ दिन पहले  रात मे मेरे मन मे विचार आया की मुझे प्रेम कहानियों की एक सीरीज लिखनी  चाहिए जिसमे अलग अलग अंत हो अलग अलग एंगल हो बस नायक और नायिका का नाम एक हो बाकि हर बार पृष्ठभूमि अलग ही परिस्थितियां  अलग हो ,अपना ये विचार मैंने फेसबुक  पर डाला और लोगो से पुछा क्या मुझे एसा करना चाहिए...

सीन २ :आज से २ दिन पहले मतलब २४/०९/२०११ को में ऑफिस में थी और मैंने लोकेश (मेरे हसबेंड) से कहा लोकेश मेरा बड़ा मन है की में आज किसी रूहानी विषय पर लिखू जिसमे प्रेम हो पर आत्मिक अहसास हो जेसे इस्वर से मिलना हो रहा हो पर में चाह  कर भी लिख नहीं पा  रही कोई विषय ही समझ नहीं आ रहा  .

सीन ३  :मैंने लोकेश से कहा कल (२५/०९/२०११) को हम मौसम देखने जाएँगे आप टिकिट  बुक करवा लो  , एसा कहने का कारन है की लोकेश की हर शनिवार छुट्टी होती है और मै मजदूर शनिवार को भी अपनी दिहाड़ी लेने अपने ऑफिस आती हू तो मुझे पता था आज वो घर पर है फ्री है तो टिकिट बुक करवा लेंगे  .लोकेश ने थोड़ी देर बाद फ़ोन किया और कहा सीट नहीं है ३ से ६ के शो मे क्या करना है ? मैंने कहा आप १२ से ३ देखो मेरा बड़ा मन है ये फिल्म देखने का कुछ भी करो हो सके तो टिकिट अडवांस बुकिंग ले लो  और फाईनली लोकेश का फ़ोन आया मैंने कल की टिकिट बुक करवा ली है ,उस समय मेरे चेहरे पर जो ख़ुशी थि मे उसे अभी बयां नहीं कर सकती . " आप लोगो को ये सारी बातें बताने का मतलब ये नहीं की मे आपको अब ये भी बताने वाली हू की हम थिएटर तक केसे गए , कौन से रंग के कपडे पहने ,या क्या खाया   ये सब बताने का मतलब बस इतना है की मे इस फिल्म को देखने के विचार के पीछे की अपनी मानसिक स्थति और इस फिल्म को देखने की अपनी जिज्ञासा के भावो को आप तक पहुंचा सकू.

इस फिल्म ने मुझे निराश नहीं किया फिल्म बहुत  ही अच्छी बनी है. वेसे  सूरज बडजात्या की फिल्म ' विवाह " के समय से ही  शाहिद मेरे पसंदीदा हीरो है पर इस फिल्म  मे उनके अभिनय मे बहुत निखार दिखाई देता है .पंजाबी विस्थपित मुस्लिम लड़की अयात और सिक्ख लडके हेरी के बीच पनपी एक प्रेम कथा पर आधारित ये फिल्म बार बार इन्हें एक दुसरे से मिलाती है दूर करती है फिर मिलाती है .सच कहू तो सोनम कपूर अपने नाम अयात (चमत्कार संकेत) को एक शब्द देती सी लगी है एकदम चमत्कारिक एकदम पवित्र रुक के फाहे जैसी .

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