अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
bahut sahi socha hai lalu ji aapne.sarthak prastuti shikha ji
बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति ||सादर अभिनन्दन ||
चारा अब चारा नहीं, चारो और चुहाड़ |खाते पीते लूटते, जाय कठौता फाड़ |जाय कठौता फाड़, मवेशी दिन भर ढोवै |कदम कदम पर रोज, रात मा कांटे बोवै |मीरा रही जगाय, जगाये गोकुल सारा |सोवै घोडा बेंच, मरे क्या अब बेचारा ??
bahut sahi socha hai lalu ji aapne.sarthak prastuti shikha ji
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावी प्रस्तुति ||
ReplyDeleteसादर अभिनन्दन ||
चारा अब चारा नहीं, चारो और चुहाड़ |
ReplyDeleteखाते पीते लूटते, जाय कठौता फाड़ |
जाय कठौता फाड़, मवेशी दिन भर ढोवै |
कदम कदम पर रोज, रात मा कांटे बोवै |
मीरा रही जगाय, जगाये गोकुल सारा |
सोवै घोडा बेंच, मरे क्या अब बेचारा ??