ढिंगा चिका , ढिंगा चिका , ढिंगा चिका
बारह महीनों मैं , बारह तरीके से , चीज़ों के रेट बढाऊंगा रे ,
दिग्गी कहेगा , सिब्बी लडेगा , मैं तो चुप रह जाऊंगा रे ....
ढिंगा चिका , ढिंगा चिका , ढिंगा चिका ...अरे ओ ओ ओ ओ , अर ओ ओ ओ ..
आजकल पिरधान जी इहे कालर ट्यून फ़िट किए हुए हैं अपना पेजर में
वाह क्या पेरोडी बनाई है। बहुत खूब।
ReplyDeleteडॉ.ओम वर्मा
आदरणीय डा. साहिब ,
ReplyDeleteधन्यवाद्, पर काश मैंने बनाई होती , ये तो चोरी का माल है , हम तो बस कदर दान हैं .
चीज़ काम की थी , और आप गुण - ग्राहक हैं ,
आपको पसंद आयी तो मेरा चोरी करना सफल हो गया .
और मुझे पता भी नहीं कहाँ से चोरी की .
इन्टरनेट का माल तो "गरीब की जोरू , सबकी भाभी" ही है
दासानुदास
अशोक गुप्ता , दिल्ली