मेरे वतन की मिट्टी कोई ला दो ।
बचपन के वो पल फिर से लौटा दो ।
अन्तरा-१.
वो नदिया किनारे, पानी उड़ाना ।
वो शाम सुहानी, सपने संजोना ।
बालू से फिर एक महल बनवा दो ।
बचपन के वो पल फिर से लौटा दो ।
अन्तरा-२.
नन्हीं सी बहना पर हुकुम चलाना ।
सताकर उसे फिर राखी बँधवाना ।
मेरा लड़कपन फिर से लौटा दो ।
बचपन के वो पल फिर से लौटा दो ।
अन्तरा-३.
यारों से लड़कर यारी जताना ।
माँ को सताकर रूठना, मनाना ।
माँ का वो आँचल फिर से ओढ़ा दो ।
बचपन के वो पल फिर से लौटा दो ।
अन्तरा-४.
रब का बुलावा,कहाँ अब तो रूकना ।
बिछड़े सभी अब, उनको है मिलना ।
अपने कुछ कंधे, फिर से मँगवा दो ।
बचपन के वो पल फिर से लौटा दो ।
मेरे वतन की मिट्टी कोई ला दो ।
बचपन के वो पल फिर से लौटा दो ।
मार्कण्ड दवे । दिनांकः १४-११-२०११.
नमस्कार , सुन्दर लिखा है बचपन के दिन -------------
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