शंकर जालान
राज्य में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान या यूं कहे कि
वाममोर्चा सरकार के कार्यकाल के आखिरी क्षणों में जिन बुद्धिजीवियों ने
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का भरपूर समर्थन किया था। अब उन
बुद्धिजीवियों से ममता की दूरियां बढ़ने लगी है। सूत्रों की माने तो
माओवादी प्रभावित जिलों पश्चिम मेदिनीपुर, पुरुलिया और बांकुड़ा से साझा
सुरक्षा बलों को हटाने में ममता की नाकामी और प्रमुख ट्रेड यूनियन नेता
प्रफुल्ल चक्रवर्ती की गिरफ्तारी समेत कई मुद्दों से बुद्धिजीवी ममता से
खासे नाराज हैं। इनमें लेखिका महाश्वेता देवी सबसे ऊपर हैं, जो कभी ममता
की तारीफों का पुल बांधा करती थी। बतौर महाश्वेता देवी- मुख्यमंत्री को
यह समझना चाहिए कि जनता के विश्वास पर खरा उतरने के लिए चुनाव से पहले
किए गए वादों को पूरा करना कितना जरूरी है। ट्रेड यूनियन नेता प्रफु ल्ल
चक्रवर्ती की गिरफ्तारी को भी बुद्धिजीवी हजम नहीं कर पा रहे हैं। शिल्पी
सांस्कृतिक कर्मी बुद्धिजीवी मंच के पदाधिकारियों का कहना है कि इस
गिरफ्तारी से उनको झटका लगा है। मंच गिरफ्तारी की निंदा करता है। मंच की
मांग है प्रफुल्ल के खिलाफ दायर तमाम झूठे मामलों को तुरंत वापस लिया
जाया।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ममता की कार्य प्रणाली के बारे में अभी कोई
टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, लेकिन अगर यही हालत रही तो समर्थन कमजोर
जरूर हो जाएगा। कोई भी सरकार अलोकतांत्रिक फैसले नहीं ले सकती। सरकार को
ऐसे फैसलों से बचना चाहिए।
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