भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
10.11.11
जलधि विशाल | कविता
जलधि विशाल | कविता
: जलधि विशाल तरंगित उर्मी
नीलांचल नाद झंकृत धरणी
कल-कल झिन्झिन झंकृत सरिता
पारावार विहारिणी गंगा
1 comment:
Shikha Kaushik
10/11/11 10:14 PM
BAHUT SUNDAR .BADHAI
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BAHUT SUNDAR .BADHAI
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