18.11.11

कोलकाता फिल्मोत्सव-२०११/ इस बार कुछ अलग

शंकर जालान



वैसे तो १९९५ से पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता शहर जिसे देश की सांस्कृतिक राजधानी का भी दर्जा प्राप्त हैं में साल में एक बार फिल्मोत्सव का आयोजन होता आ रहा है। इस गणित से कोलकाता फिल्मोत्सव का यह १७वां साल है, लेकिन कहना गलत नहीं होगा कि संपन्न हुए बीते १६ फिल्मोत्सव की तुलना में इस बार यानी २०११ में (११ से १७ नवंबर) फिल्मोत्सव कुछ बदला-बदला से नजर आया। इस बदलाव पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि उन्होंने फिल्मोत्सव को खास लोगों के साथ-साथ आम लोगों के लिए आयोजित किया है। इस पर उनका तर्क है कि आम अथवा साधारण लोग फिल्मोत्सव का लुफ्त उठा सके, इसीलिए मात्र दस रुपए में फिल्मों की टिकट उपलब्ध कराई गई।
जानकारों का कहना है कि भले ही मुख्यमंत्री अपनी सफाई में कुछ भी कहे या तर्क दें, असलियत में फिल्मोत्सव में कई कमियां रही। मसलन उद्घाघटन समारोह के दौरान ही कुछ खामियां दिखी। जैसे कि पहली दफा उद्घाटन समारोह तय समय से आधा घंटा देर से आरंभ हुआ। प्रेस वालों को भी उद्घाटन समारोह में सामने की बजाए स्टेडियम के ऊपर कोने की एक गैलरी में बिठा दिया गया। मंच के ठीक सामने टॉलीवुड और बॉलीवुड के कलाकारों के अलावा बाहर से आए विदेशी प्रतिनिधि व वाणिज्यिक संस्थाओं के पदाधिकारियों को बिठाया गया। करीब डेढ़ घंटे तक चले उद्घाटन समारोह के दौरान ज्यादातर समय मुख्यमंत्री को लोगों का अभिवादन करते ही देखा गया। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा-नेताजी इंडोर स्टेडियम को उद्घाटन समारोह-स्थल के रूप में इसलिए चुना गया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग फिल्मोत्सव का आनंद ले सके।
17वें कोलकाता फिल्मोत्सव के उद्घाटन के लिए बॉलीवुड के स्टार शाहरुख खान और बीते जमाने की मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर को खास तौर पर आमंत्रित किया गया था। उद्घाटन समारोह में शाहरुख, शर्मिला और ममता बनर्जी के अलावा ढेर सारी मशहूर हस्तियां उपस्थित थीं। उद्घाटन समारोह में ममता बनर्जी ने शाहरुख और शर्मिला को शाल ओढ़ाकर सम्मानित तो किया ही, सुप्रिया देवी, सावित्री चटर्जी, अपर्णा सेन, संध्या राय, हराधन बनर्जी, रंजीत मल्लिक, संदीप राय, गौतम घोष और प्रसेनजीत चटर्जी को भी सम्मानित किया। समारोह में गायिका उषा उत्थुप, गायक नचिकेता, अभिनेता देव, अभिनेत्री देवश्री राय समेत राज्य सरकार के अनेक मंत्री व मेयर शोभन चटर्जी भी उपस्थित थे।
ध्यान देने वाली बात यह है कि ममता बनर्जी के आंमत्रण के बावजूद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व कला प्रेमी बुद्धदेव भट्टाचार्य व जानेमाने फिल्म निदेशक मृणाल सेन समेत कई महशूर हस्तियां उद्घाटन समारोह में नहीं पहुंची। हालांकि बुद्धदेव ने इस आमंत्रण के लिए ममता बनर्जी को धन्यवाद देते हुए समायभाव के कारण उद्घाटन समारोह में शिरकत करने के प्रति असमर्थता जताई है। ममता ने टेलीफोन पर महानगर के पॉम एवेन्यू स्थित बुद्धदेव भट्टाचार्य के आवास पर उनको न्यौता दिया था। इस बाबत चर्चा है कि राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद ममता ने फिल्मोत्सव की परंपरा में भी बदला लाने की कोशिश की। लोगों का मानना है कि ममता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सर्वप्रथम १९९५ में वाममोर्चा के शासनकाल में ज्योति बसु के मुख्यमंत्री व बुद्धदेव भट्टाचार्य के संस्कृति विभाग के मंत्री रहते ही कोलकाता में फिल्मोत्सव की शुरुआत की गई थी।
इस बार आठ दिवसीय फिल्मोत्सव में ५० देशों की १५० फिल्में दिखाई गई। फिल्मों के प्रदर्शन के लिए रवींद्र सदन, नंदन, शिशिर मंच, स्टार थिएटर, न्यू एंपायर समेत कुल ११ सिनेमागृहों का चयन किया गया था। नेताजी इंडोर स्टेडियम में उद्घाटन समारोह के दौरान नीदरलैंड्स की मशहूर फिल्म ‘द मैजिशियंस’ प्रदर्शित की गई।
ममता ने अपने संबोधन में शाहरुख खान को अपना भाई बताते हुए कहा कि कोलकाता को विश्व में नंबर वन बनाने की उनकी योजना है, क्योंकि इस शहर ने एक से एक प्रतिभाशाली लोगों को जन्म दिया है। ममता ने कोलकाता फिल्मोत्सव को ‘ग्रेट फेस्टिवल’ करार देते हुए कहा-यह शहर सत्यजीत राय, तपन सिन्हा, देवकी बोस और न जाने कितने प्रतिभाशाली लोगों का शहर है।
अभिनेता शाहरुख खान ने कहा कि कोलकाता सही मायने में देश की सांस्कृतिक राजधानी है। यहां कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर, सत्यजीत राय, मृणाल सेन, ऋतिक घटक, किशोर कुमार, सचिन देव बर्मन, राहुल देव बर्मन समेत हमारी फिल्मी दुनिया की अनेक हस्तियां रही हैं, जिनसे हमारा सिनेमा आज एक नई दहलीज पर खड़ा है। शाहरुख ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति अपना आभार भी जताया।
अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा-कोलकाता मेरा घर है। मेरा जन्म यहीं हुआ। इसी शहर में मेरा फिल्मी कैरियर शुरू हुआ। आज से 35 वर्ष पहले सत्यजीत राय के साथ मैं सिनेमा से जुड़ी। इस शहर के साथ मेरी अनेक स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि भूगोल व राजनीति के दायरे से बाहर ही संस्कृति का विकास हो सकता है। शर्मिला ने कहा- सिनेमा हम लोगों की सांस्कृति जिंदगी की तरह है। इंटरनेट की सुविधा के कारण अब हम विश्व की उल्लेखनीय फिल्मों को डाउनलोड करके देख सकते हैं। सांस्कृतिक दुनिया को समृद्ध करने के लिए अब हमें नई तकनीक को अपने साथ जोड़ना होगा।

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