अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
3.11.11
reenakari: बस मेरे लिये
reenakari: बस मेरे लिये: आज वो रोशन बस मेरे लिये हुई जो दूर से मुझे सताया करती इठला इठला कर रुलाया करती अब के बरस ऐसा हुवा सारा सावन बादल बरसे हुई खूब बरसा...
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