fdi ऍफ़ डी आई जिंदाबाद , कब तक बकरे की माँ खैर मनाएगी .
कब तक बचोगे ऍफ़ डी आई से
कब तक बचोगे ऍफ़ डी आई से
कब तक बचोगे ऍफ़ डी आई से
जब सरकार ने कमर कस ली है लाने की
ये कोई लोक पाल बिल तो है नहीं , जिसको पास करते करते ५ साल बीत जाएँ
और इतना माल विदेशी आ रहा है , यदि ये भी आ जायेगा तो क्या हो जायेगा .
यहाँ के नवाबजादों को बार बार शौपिंग के लिए विदेश नहीं जाना पड़ेगा .
पर एक फायेदा अवश्य होगा जैसे विदेशी मक डोनाल्ड , पिज़ा -हट इत्यादि ने हमें रेस्तोरांत चलाने की तमीज़ सिखा दी , ये स्टोर भी हमें स्टोर चलाने की तमीज़ सिखा देंगे.
जब वैसे भी हम विदेशी गंद खाने के आदि हो चुके हैं , तो कब तक बकरे की मान खैर मनाएगी .
और ये तो शुरुआत है .
और यदि पसंद नहीं है तो अगली बार कोई दूसरी सरकार ला कर सालों को वापिस भेज देना .
बेहद घटिया टिप्पणी है, तर्कहीन, या कुतर्क ही कहें तो ज्यादा बेहतर होगा, ब्लॉग्स पर लिखने की आजादी का यह दुरुपयोग है
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