अस्त-व्यस्त ,लस्त-पस्त है ये समाज
अस्त-व्यस्त,लस्त-पस्त है ये समाज |
त्रस्त व्यग्र व्यक्ति से जुड़ा है ये समाज ||
अल्प शल्य की वजह से संतृप्तहै ये समाज |
विघ्न जटाओं की वजह से विसंगत है ये समाज ||
अर्ध ज्ञान से अटा-पड़ा है ये समाज |
शुभ-अशुभ और अन्धविश्वास पर डटा-पड़ा है समाज|
कर्म अप्रधान युवाओं का है ये समाज |
चरम रोगों से जैसे पीड़ितों का है ये समाज |
असहज निर्बल अबलाओं का जैसे है ये समाज||
अस्त-व्यस्त,लस्त-पस्त है ये समाज |
त्रस्त व्यग्र व्यक्ति से जुड़ा है ये समाज ||
राकेश कुमार सक्सेना
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