अब चोर जमात है खतरे में
ये इन्कलाब के नारे ,
ये बगावत के नारे,
अब सहन नहीं होंगे;
क्योंकि-
यह जेहाद फैलाते है,
सोये हुए को जगाते है,
कायरों में जान फूंकते है.
इसी इन्कलाब ने-
फिरंगियों को खदेड़ा था,
भारतीयों को जोड़ा था,
आपातकाल को मरोड़ा था,
आज यही इन्कलाब-
बच्चे,बुड्ढे,युवा,सब के खून में उबल रहा है;
सच्चाई का गरमागरम लावा उगल रहा है;
अधिकारों को पाने का संग्राम सिखा रहा है;
चुने हुए शातिरों पर सीधी अंगुली तान रहा है.
यह बुझने वाला दीया-
पल-पल नयी मशाल जला रहा है.
यह बुझने वाला दीया
पल-पल नयी जोत फैला रहा है.
टिमटिमाते दीये पर,
आंधी बन कर टूट पड़ो.
मुट्ठी बनते हाथों पर,
कहर बन कर फूट पड़ो.
अभिव्यक्ति की आजादी पर,
सीधा-सीधा वार करो .
अधिकार मांगनेवालो पर,
मुक्का बन कर बरस पड़ो.
सख्त लोकपाल के आने पर,
हर दल का पग है दलदल में .
भूलो अपने मतभेदों को
अब चोर जमात है खतरे में
ये इन्कलाब के नारे ,
ये बगावत के नारे,
अब सहन नहीं होंगे;
क्योंकि-
यह जेहाद फैलाते है,
सोये हुए को जगाते है,
कायरों में जान फूंकते है.
इसी इन्कलाब ने-
फिरंगियों को खदेड़ा था,
भारतीयों को जोड़ा था,
आपातकाल को मरोड़ा था,
आज यही इन्कलाब-
बच्चे,बुड्ढे,युवा,सब के खून में उबल रहा है;
सच्चाई का गरमागरम लावा उगल रहा है;
अधिकारों को पाने का संग्राम सिखा रहा है;
चुने हुए शातिरों पर सीधी अंगुली तान रहा है.
यह बुझने वाला दीया-
पल-पल नयी मशाल जला रहा है.
यह बुझने वाला दीया
पल-पल नयी जोत फैला रहा है.
टिमटिमाते दीये पर,
आंधी बन कर टूट पड़ो.
मुट्ठी बनते हाथों पर,
कहर बन कर फूट पड़ो.
अभिव्यक्ति की आजादी पर,
सीधा-सीधा वार करो .
अधिकार मांगनेवालो पर,
मुक्का बन कर बरस पड़ो.
सख्त लोकपाल के आने पर,
हर दल का पग है दलदल में .
भूलो अपने मतभेदों को
अब चोर जमात है खतरे में
सख्त लोकपाल के आने पर,
ReplyDeleteहर दल का पग है दलदल में .
भूलो अपने मतभेदों को
अब चोर जमात है खतरे में
क्या सच में ऐसा होगा.... ?
बहुत खूब, बधाई.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अनुगृहीत करें.