5.12.11

पता न चला..!! (गीत)





पता न चला..!! (गीत)



प्यारे दोस्तों,

हमारे सभी के प्यारे सदाबहार, सदा जवान, ज़िंदादिल कलाकार, मरहूम श्रीदेवसाहब को  ख़ुदा जन्नत नसीब करें,यही कामना करते हुए, श्रीदेवसाहब को, मैं एक गीतकार के रूप में, गीत के ज़रिये,  नम्र श्रद्धांजलि  प्रस्तुत कर रहा हूँ, उम्मीद है,यह प्रस्तुति आपके दिल को भी छू जायेगी ।



कब   मेरी   रूह  से  जुड़  गया, पता  न  चला..!! 
साया  सा  बन  कर  मुड़  गया, पता  न  चला..!!


अंतरा-१.


साँस    लेने    की    फुरसत,  कहाँ    है   जानम ?

कब   मेरी   साँस   में  बस  गया, पता  न  चला..!! 

साया   सा   बन  कर  मुड़  गया, पता  न  चला..!!


अंतरा-२.


अपनी   ही   मस्ती   में,  जी   रहा   था   मैं   तो ।

कब   मेरे    दिल  में   बस  गया, पता  न  चला..!!

साया  सा   बन  कर  मुड़  गया, पता  न  चला..!!


अंतरा-३.



आदत सी  हो  गई  क्या, तुम को  निशिचारी की ? 


कब   ख़्वाब  में   वो   आ   गया, पता  न  चला..!!


साया  सा   बन  कर  मुड़  गया, पता  न  चला..!!

 ( निशिचारी = जो रात को बाहर निकले या चले ।)


अंतरा-४.


तेरी     मौज़ूदगी    से    थी,  रौनके   महफ़िल..!!

हसीन  ख़्वाब   कब   टूट  गया, पता  न  चला..!!

साया  सा   बन  कर  मुड़  गया, पता  न  चला..!!


मार्कण्ड दवे । दिनांक-०५-१२-२०११.

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