अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
बहुत ख़ूबसूरती से एक व्यथा को परिभाषित किया ..उम्दा
आदरणीय डॉ. नूतन जी,यथायोग्य अभिवादन्। व्यथा में खूबसूरती तलाशने के लिये शुक्रिया? सरहाने के लिये शुक्रिया।रविकुमार बाबुल ग्वालियर
बहुत ख़ूबसूरती से एक व्यथा को परिभाषित किया ..उम्दा
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरती से एक व्यथा को परिभाषित किया ..उम्दा
ReplyDeleteआदरणीय डॉ. नूतन जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन्।
व्यथा में खूबसूरती तलाशने के लिये शुक्रिया? सरहाने के लिये शुक्रिया।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर