जब से पैदा हुआ , यही सुनता आया कि जाति व्यवस्था या वर्णव्यवस्था , पर किंचित कारणों से मैं जाति व्यवस्था ही कहना चाहूँगा , भारत के लिए अभिशाप है । परन्तु , बात ऐसी नहीं है । वास्तव में तो यह भारत के लिए वरदान ही रही है । हाँ , अस्पृश्यता एक शर्मनाक रोग थी ।
एक बार मेरे एक प्रोफ़ेसर ने इस ओर ईशारा किया । इसी व्यवस्था ने भारत पर इस्लामिक शासन के दौरान भारतीय संस्कृति के प्राचीन रीति -रिवाजों एवं ज्ञान विज्ञान को बचाए रखने में काम किया । विश्वविद्यालयों एवं पुस्तकालयों को जलाकर कोई बख्तियार खिलजी यहाँ के ज्ञान को नष्ट नहीं कर सका क्योंकि यहाँ एक एक कार्य का विशेशज्ञान एक एक जाति में निहित था ।
इसने धर्मान्तरण के दर को भी कम किया क्योंकि धर्म परिवर्तन के साथ जाति छूट जाति थी और सभी पारिवारिक संबंधों के एक ही जाति में केन्द्रित होने से जाति छोड़ देना किसी के लिए आसान काम नहीं था ।
फूट डालो और राज करो के सिद्धांत के अंतर्गत जातियों के बीच नफ़रत पैदा करने का काम किया गया है जिससे भारत के बहुसंख्यक हिन्दू आपस में टूट कर बिलकुल कमजोर हो जाएँ । हमें इस साजिश से सावधान रहना है ।
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