आज कोई भी नेता यही सोचते हैं कि किसी और तरीके से
उन्हें वोट मिले न मिले पर किसी चौराहे पर खड़े होकर आरक्षण के समर्थन में
दो पंक्ति बोल देंगे तो वोट उन्हें मिलना ही है।एक तरफ तो ये नेता समाज के
हर वर्ग और हर जाति के लोगों को एक नजर से देखने का ढोँग करते हैं और दूसरी
तरफ आरक्षण का समर्थन करके समाज को बाँटने और अपना वोट बैंक मजबूत करने की
कोशिश करते हैं।
पिछड़े वर्ग के लोग यह सोचते हैं कि आरक्षण की मदद से उन्हें समाज में बराबर की नजर से देखा जाएगा लेकिन असलियत में इसका उल्टा है।आरक्षण ने तो ऊँचे जाति के लोगों में और पिछड़े वर्ग के लोगों में जंग सी छेड़ दी है।आखिर पिछड़े वर्ग के लोगों को क्यों मिलना चाहिए आरक्षण अगर हम समाज को एक नजर से देखते हैं।
आरक्षण आजादी के समय से ही देश में लागू है फिर भी आज तक पिछड़े वर्ग के लोगों की हालत नहीं सुधरी है।आरक्षण अगर अगले 100 सालों तक भी देश में लागू रहे तब भी पिछड़े वर्ग के लोगों की हालत नहीं सुधरने वाली है क्योंकि आरक्षण वह कानून ही नहीं है जिससे उनका भला हो।हर नेता सिर्फ आरक्षण की ही माँग और करते आए हैं पर किसी ने भी शिक्षा पर जोड़ नहीं दिया।आज तक सरकारी विद्यालयों की हालत नहीं सुधार पाए ये नेता तो फिर किस मुँह से ये कहते हैं की ये पिछड़े समाज का भला चाहते हैं।आरक्षण अगर सचमुच अच्छा कानून होता तो आज भी फुटपाथ पर वो लोग नजर नहीं आते जिनकी सारी जिंदगी फुटपाथ पर ही गुजर जाती है।
आरक्षण अगर सचमुच एक अच्छा कानून है तो आज भी देश के कुछ चुनिंदा संस्थानों में आरक्षण क्यों नहीं लागू है।आरक्षण से अगर सचमुच किसी का भला होता है तब सरकार को तो इसे देश के तमाम संस्थानों में लागू कर देना चाहिए।सरकार तो खुद ही यह सत्यापित कर रही है कि आरक्षण एक अच्छा कानून नहीं है।
कोई भी नेता आरक्षण का जोरदार समर्थन करते हैं क्योंकि उन्हें तो इससे कोई मतलब है नहीं, उनके बच्चे तो पढ़ते हैं विदेश में।इस कानून की आड़ में पीसना तो है आम जनता को जिससे नेताओं को कोई मतलब है नहीं।इसमें गलती सिर्फ नेताओं की नहीं है, गलती उन पिछड़े वर्ग के लोगों की भी है जो यह सोचते हैं कि ये नेता आरक्षण का समर्थन उनके समाज को उठाने के लिए करते हैं, लेकिन वे यह नहीं समझ पाते कि ये नेता आरक्षण का समर्थन उनके समाज में खुद को उठाने के लिए करते हैं।वे सभी नेता आरक्षण को अपनी सफलता की कुंजी मानते हैं।
पिछड़े वर्ग के लोग यह सोचते हैं कि आरक्षण की मदद से उन्हें समाज में बराबर की नजर से देखा जाएगा लेकिन असलियत में इसका उल्टा है।आरक्षण ने तो ऊँचे जाति के लोगों में और पिछड़े वर्ग के लोगों में जंग सी छेड़ दी है।आखिर पिछड़े वर्ग के लोगों को क्यों मिलना चाहिए आरक्षण अगर हम समाज को एक नजर से देखते हैं।
आरक्षण आजादी के समय से ही देश में लागू है फिर भी आज तक पिछड़े वर्ग के लोगों की हालत नहीं सुधरी है।आरक्षण अगर अगले 100 सालों तक भी देश में लागू रहे तब भी पिछड़े वर्ग के लोगों की हालत नहीं सुधरने वाली है क्योंकि आरक्षण वह कानून ही नहीं है जिससे उनका भला हो।हर नेता सिर्फ आरक्षण की ही माँग और करते आए हैं पर किसी ने भी शिक्षा पर जोड़ नहीं दिया।आज तक सरकारी विद्यालयों की हालत नहीं सुधार पाए ये नेता तो फिर किस मुँह से ये कहते हैं की ये पिछड़े समाज का भला चाहते हैं।आरक्षण अगर सचमुच अच्छा कानून होता तो आज भी फुटपाथ पर वो लोग नजर नहीं आते जिनकी सारी जिंदगी फुटपाथ पर ही गुजर जाती है।
आरक्षण अगर सचमुच एक अच्छा कानून है तो आज भी देश के कुछ चुनिंदा संस्थानों में आरक्षण क्यों नहीं लागू है।आरक्षण से अगर सचमुच किसी का भला होता है तब सरकार को तो इसे देश के तमाम संस्थानों में लागू कर देना चाहिए।सरकार तो खुद ही यह सत्यापित कर रही है कि आरक्षण एक अच्छा कानून नहीं है।
कोई भी नेता आरक्षण का जोरदार समर्थन करते हैं क्योंकि उन्हें तो इससे कोई मतलब है नहीं, उनके बच्चे तो पढ़ते हैं विदेश में।इस कानून की आड़ में पीसना तो है आम जनता को जिससे नेताओं को कोई मतलब है नहीं।इसमें गलती सिर्फ नेताओं की नहीं है, गलती उन पिछड़े वर्ग के लोगों की भी है जो यह सोचते हैं कि ये नेता आरक्षण का समर्थन उनके समाज को उठाने के लिए करते हैं, लेकिन वे यह नहीं समझ पाते कि ये नेता आरक्षण का समर्थन उनके समाज में खुद को उठाने के लिए करते हैं।वे सभी नेता आरक्षण को अपनी सफलता की कुंजी मानते हैं।
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