19.12.11

plitical dairy of seoni disst. of M.P.

फोर लेन के मुद्दे को सिर्फ राजनैतिक हथियार बना कर राजनीति करने की छूट जनता किसी को भी नहीं दे सकती

इन दिनों विशेषकर सड़कों के निर्माण में बी.ओ.टी. योजना बुहत लोकप्रिय हो रही हैं। इसी तर्ज पर राजनैतिक क्षेत्र में भी एक योजना हर जगह दिखायी देने लगी हैं जिसे लोग आई,डबल्यू.ई.के नाम से पुकारने लगे हैें। इस सम्मेलन में भाग लेने सिवनी का प्रतिनिधि मंड़ल पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के नेतृत्व में गया था। पालिका की पुरानी और नयी अनुभवी टीम की यह संयुक्त यात्रा सियासी हल्कों में चर्चित हैं। फोर लेन सड़क को लेकर राजनीति का खेल अभी चल ही रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपनी अपनी राजनीति तो कर रहीं हैं लेकिन सेहरा बन ही नहीं पा रहा है जिसे अपने सिर पर बांधने के लिये सभी बेताब हैं। बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेय की तर्ज अब भी यदि सभी जन प्रतिनिध संयुक्त रूप से प्रयास कर फोर लेन का निर्माण पूरा नहीं करोंगें तो जिले की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी क्योंकि इस मुद्दे सिर्फ राजनीति करने का एक हथियार बनाने की छूट किसी को भी नहीं दी जा सकती हैं।

राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चित है आई.डबल्यू .ई. योजना -इन दिनों विशेषकर सड़कों के निर्माण में बी.ओ.टी. योजना बुहत लोकप्रिय हो रही हैं। बी.ओ.टी. याने बिल्ट,आपरेट और ट्रांसफर। लगाओ, चलाओ और वापस करो। इसी तर्ज पर राजनैतिक क्षेत्र में भी एक योजना हर जगह दिखायी देने लगी हैं जिसे लोग आई,डबल्यू.ई.के नाम से पुकारने लगे हैें। इसका फुल फार्म इनवेस्ट,विन और अर्न याने लगाओ, जीतो और कमाओ। जिस तरह से आज निर्वाचित जनप्रतिनिधि काम कर रहें हैं उससे आम आदमी के मन में यह धारणा काम करने लगी हैं कि अब कोई जनसेवा करने के लिये जन प्रतिनिधि नहीं बनता वरन जीतते ही वह धन सेवा में जुट जाता हैं। जैसे जैसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण किया गया वैसे वैसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण हुआ हो या नहीं लेकिन भ्रष्टाचार विकेन्द्रीकरण जरूर होता जा रहा हैं। इसलिये आज जहां देखो वहां भ्रष्टाचार का रोना रोते लोग दिख जाते हैं। अब इसका कारण क्या है? इस पर लोग अलग अलग बातें कहते दिखते हैं। जहां एक ओर जनप्रतिनिधि महंहगें चुनावों और पार्टी के द्वारा थोपी जाने वाली आर्थिक मांगों का रोना रोते हें तो वहीं दूसरी ओर जब लोग “आजई बनिया कालई सेठ“ होते जनप्रतिनिधियों को देखतें हैं तो उन्हें ये सारे तर्क बेमानी लगतें हैं। भ्रष्टाचार मिटाने का दावा तो सभी करतें हैं लेकिन इसकी शुरुआत कहां से करें? यह कोई भी नहीं बता पाता हैं। राजनीति में तो अब भ्रष्टाचार को बेशर्मी से शिष्टाचार कहने से कोई नहीं चूक रहा हैं। इस संबंध में तो गायत्री परिवार की यही मंत्र काम आ सकता हैं कि “हम सुधरेंगें,जग सुधरेगा“। यदि हमने खुद ना सुधरने की कसम खा ली है तो फिर जग के सुधरने की बात करना ही बेमानी होगा।

पालिका की पुरानी और नयी अनुभवी टीम की दिल्ली यात्रा सुर्खियों में -नगरपालिका का प्रतिनिधिमंड़ल दिलली से लौटकर आ गया हैं। दिल्ली में शहरी विकास मंत्री कमलनाथ द्वारा नगर निगम,नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में भाग लेने सिवनी का प्रतिनिधि मंड़ल पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के नेतृत्व में गया था जिसमें जलकर्म सभापति राजा पराते , कांग्रेस पार्षद दल के नेता शफीक खान के अलावा इंका पार्षद इब्राहिम खान का समावेश था। इस यात्रा के दौरान इस प्रतिनिधि मंड़ल ने अलग से केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ से भेंट कर शहर की समस्याओं से अवगत कराया और शहर में रेल्वे ओवर ब्रिज के साथ सीवर लाइन तथा सड़कों के लिये अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराने की मांग भी की हैं।बताया जाता है कि इस दिल्ली यात्रा में पालिका के पूर्व अनुभवियों की टीम भी गयी थी जिसके फोटो भी अखबारों की सुर्खी बनी थी। लेकिन इस टीम का कहीं विज्ञप्ति में उल्लेख नहीं किया गया हैं। लोगों का कयास हैं कि पुरानी अनुभवी टीम ने पर्दे के पीछे कोई कारगर भूमिका निभायी होगी। पालिका की पुरानी और नयी अनुभवी टीम ने क्या गुल खिलाये हैं और इसका शहर को कितना और क्या लाभ होगा? यह तो वक्त आने पर ही पता चलेगा। पालिका की योजनाओं को जब तक प्रदेश सरकार अपनी सिफारिश के साथ केन्द्र सरकार को नहीं भेजेगी तब तक राशि मिलने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता हैं। शहर के लोगों की तो यही अपेक्षा है कि जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने रोड़ शो करके भाजपा के लिये वोट मांगें थे उसी तरह जल्दी ही प्रदेश सरकार योजनाओं को दिल्ली भेजे और दलीय भावनासे परे हट कर कांग्रेस के लोग केन्द्र से राशि दिलवायें ताकि स्वर्णिम मध्यप्रदेश की परिकल्पना के अनुसार स्वर्णिम शहर भी बन सकें। वैसे तो पालिका की युवा टीम से शहर के लोगों को बहुत उम्मीदें हैं।

फोर लेन सिर्फ राजनीति करने की छूट किसी को भी नहीं-फोर लेन सड़क को लेकर राजनीति का खेल अभी चल ही रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपनी अपनी राजनीति तो कर रहीं हैं लेकिन सेहरा बन ही नहीं पा रहा है जिसे अपने सिर पर बांधने के लिये सभी बेताब हैं। जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह ने एक प्रतिनिधि मंड़ल दिल्ली ले जा कर भू तल परिवहन मंत्री सी.पी.जोशी, पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन और शहरी विकास मंत्री कमलनाथ से भेंट कर मसले को जल्दी निपटाने का मांग की थी। उसके बाद दिल्ली से भोपाल आये वन विभाग के अधिकारी राजेश गोपाल सहित एनएचएआई के अधिकारियों की हरवंश सिंह से उनके ही बंगले भी हुयी भेंट के समाचार भी अखबारों में छपे। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की सीईसी के सदस्य के रूप में राजेश गोपाल के प्रदेश सरकार के मुख्यसचिव को भेजे गये पत्र के आधार पर ही फोर लेन का काम पूरे जिले में रुक गया था। जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ कुरई घाट का 8.9 कि.मी. का हिस्सा ही विचाराधीन था जिस पर भी कोर्ट ने स्टे नहीं दिया था।इसके बाद हरवंश समर्थकों का दावा है कि दिल्ली में हरवंश सिंह ने वन एवं पर्यावरण विभाग और तथा एनएचएआई के अधिकारियोंकी संयुक्त बैठक कर पूरे मामले में सर्वमान्य हल निकाल लिया हैं और जल्दी ही पूरा रुका हुआ काम शुरू हो जावेगा। लेकिन जानकार लोगों का दावा है कि एनएचएआई का नया प्रस्ताव अभी जिले में ही वन विभाग के पास विचाराधीन है जिस पर परीक्षण किया जा रहा हें। फिर यह प्रदेश के वाइल्ड लाइफ बोर्ड के भोपाल जायेगा और वहां नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को मामला दिल्ली भेजा जायेगा जहां अंतिम स्वीकृति के बाद ही काम शुरू हो पायेगा। दूसरी तरफ भाजपा यह दावा कर रही है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इसे पूरा कराने की पूरी कोशिश कर रहें हैं। शिवराज सिंह ने भी सिवनी के कुछ लोगों को दिल्ली ले जाकर प्रधानमंत्री से मिलाने की बात एक साल पहले कही थी। लेकिन ना तो ले जाने वाले दिल्ली ले गये और ना ही जाने वालों ने कभी शिवराज से यह जानने की जरूरत महसूस की कि वे उन्हें कब दिल्ली ले जायेंगें। और मामला अखबारों की सुर्खियां भर बन कर रह गया। बीते दिनों जिले से बहुत कुछ छिना हैं। लेकिन मिला कुछ भी नहीं हैं।इससे दुखी जिले के लोगों ने फोर लेन के संघर्ष में ऐतिहासिक बंद कर एक मिसाल कायम की थी। लेकिन तब मामला कोर्ट में लंबित होने कारण केन्द्र और राज्य सरकार के पास यह बहाना था कि चाहते हुये भी हम कुछ नहीं कर सकते। लेकिन अब जबकि मार्च 2011 में कोर्ट ने आपत्तिकर्त्ता की याचिका खारिज कर दी हैं तब इस विलंब के लिये किसी के भी पास कोई बहाना नहीं हैं। लगभग नौ महीने बीत जाने के बाद भी यदि मामला अभी जिले में लंबित है तो इसके लिये भला जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता को कैसे क्लीन चिट दी जा सकती हैं? बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेय की तर्ज अब भी यदि सभी जन प्रतिनिध संयुक्त रूप से प्रयास कर फोर लेन का निर्माण पूरा नहीं करोंगें तो जिले की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी क्योंकि इस मुद्दे सिर्फ राजनीति करने का एक हथियार बनाने की छूट किसी को भी नहीं दी जा सकती हैं।

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