भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
3.12.11
reenakari: ख़्वाब
reenakari: ख़्वाब
: लिखने को कहानी चला था में अपनी जाने किस जोश में हर बार गिरा ओदें मुंह मैं होश में जरा समेट कर ख़्वाब को चलुं फिर है एक दरिया सामने गर...
1 comment:
S.N SHUKLA
4/12/11 6:35 AM
सुन्दर प्रविष्टि के लिए बधाई.
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सुन्दर प्रविष्टि के लिए बधाई.
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