11.1.12

फतवा

फतवा 


फतवा पढने का ठेका सिर्फ किसी एक कौम की जागीर नहीं है .हर किसी को अपना अपना फतवा
पढने का हक़ है .कोई बुर्का डालने का फतवा पढता है तो कोई टुके कपडे पहनने का.कोई अभिव्यक्ति
को रोकने का फतवा पढता है तो कुदेर-कुदेर कर सच सामने लाने का .
        एक वकील साहब को अपनी पार्टी के खिलाफ कडवा सच लिखा हुआ हजम नहीं हुआ तो वे पढ़
बैठे फतवा कि सार्वजनिक मंच पर लिखना बंद होना चाहिए क्योंकि ये उनके आराध्य के खिलाफ
कडवा मजाक है .
       एक वकील साहब हैं की बाल की खाल निकाल कर दशा और ग्रह खराब करते जा रहे हैं लुंगी
वाले बाबू की .उनका दावा है की मयखाने में जाने वाला सादा और कोरा ही बाहर थोड़ी आता है .
     राजनीती वाले लोग तो फतवे का आधुनिक नाम रख ही चुके हैं ,वो जानते हैं फतवा नाम देने से
चुने हुए लोग सीधे सीधे मानेगें नहीं और नहीं मानने से हाई कमान शब्द का भी कोई औचित्य नहीं
इसलिए उन्होंने नाम दे दिया "व्हिप ".व्हिप की नहीं मानकर आत्मा की आवाज की जो प्रतिनिधि
मानता है उसका तो अंतिम संस्कार ही होता है अब .
     बात लोकपाल की ही ले लीजिये -सरकार ने पढ़ा ,हम जो लाये हैं वो ही मजबूत ,टिकाऊ ,सुन्दर
लोकपाल है और ऐसे ही लोकपाल की देश को जरुरत है मगर अन्ना भड़क उठे और बोले-नहीं ,ये
लोकपाल नहीं चलेगा ,लोकपाल के पास तो संत्री से मंत्री तक का इलाज हो पक्का ताबीज हो ताकि
A _B _C _D _ चारो के चारो चक्कर लगाते रहे .
   बात चुनाव की हो तो हर दल अपना अपना फतवा पढ़ देता है ,एक दल को लगा अल्पसंख्यक के 
बिना नाव डूब ही जायेगी इसलिए ९%आरक्षण का मन्त्र पढ़ दिया ,मन्त्र भी तभी सिद्ध होते हैं जब
सच्चे मन से पढ़े जाये वरना तो बेकार ही जाते हैं .
     बात फतवे की चल रही थी की चुनाव आयोग ने हुक्म (फतवा नाम चीलर लग रहा है )दिया -
शहर गाँव जहां भी हाथी की मूर्ति दिखाई दे उसे ढक दिया जाये ,क्योंकि हाथी की माया दलित  को 
मालामाल कर सकती है अब ये तर्क कुतर्क है ,ऐसा कौन कहे .
    एक फतवा आया था FDI  का. लेकर जरुर आयेंगे भले ही अर्थ का अनर्थ हो .जब जनता ने लाल
आँख की तो वो बोले -अभी नहीं पर बाद में जरुर लायेंगे आपकी छाती पर मुंग दलवाने,पहले वोट
कर लो फिर देंखे किसकी मझाल जो हमें ही रोके .
    एक फतवा आया की ३२/- कमाने वाले अमीर भारतीय है जब यह फतवा गले नहीं उतरा तो वो 
बोले-हम ८०% जनता को २/-किलो गेंहू ३/-किलो चावल १/-किलो मोटा अनाज देंगे एक दिन में 
१ किलो भी खा जाएगा तो भी ३१/- की बचत यानी आय का ९७% बचत ३% खर्च ,अब बोलो ३२/- 
कमाने वाला अमीर है की नहीं !
      फतवा देश के किसी भी कौने से कोई भी कभी भी पढ़ सकता है .बंगाल क्वीन ने क्या पढ़ा है
कि बेचारा हाथ लकवा ग्रस्त हो गया ,उधर दक्षिण से फतवा आया .....और दो! इतने से काम नहीं
चलेगा ,बात मान लो वरना वक्र गति होगी शिवा के देश में .
                     

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