19.1.12

राज चलनेवाले गुड्डे

राज चलानेवाले गुड्डे
भोले भाले बुड्ढे !

दिशा देश की जाय जहन्नुम ,
करते रहना टुक्दुम ।
सब करते हैं हल्ला-गुल्ला
तुम रह जाते गुमशुम ।
महँगाई की मार झेलती
जनता का दम घुट्टे ।
राज .................................................... ॥

जनता भ्रष्ट , भ्रष्ट हैं नेता
कैसी बर्बादी है ?
कैसा अपना प्रजातंत्र है ?
कैसी आजादी है ?
ऐसी बीमारी से कैसे
पिंड देश का छुट्टे ?
राज .......................................................... ॥

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